राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में सहायक शिक्षक नियुक्ति (एक से पांच) मामले में संशोधित परिणाम के खिलाफ दाखिल याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। 
 सुनवाई के बाद अदालत ने जेएसएससी से जवाब मांगा है। अदालत ने आयोग से प्रार्थी का प्राप्तांक और बीसी-टू के कट आफ मार्क्स की जानकारी मांगी है। 
 अदालत ने मौखिक कहा कि अगर प्रार्थी मूल परिणाम में अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुआ था तो उसने बीसी-टू श्रेणी से ज्यादा अंक प्राप्त किए होंगे। ऐसे में वह संशोधित परिणाम से कैसे बाहर हो गया। 
  
 इसको लेकर सुदामा कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। प्रार्थी के अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि प्रारंभिक परिणाम में प्रार्थी का अनारक्षित श्रेणी में चयन हुआ था, जबकि उन्होंने बीसी-टू (आरक्षित) श्रेणी से आवेदन किया था। 
  
 
 
 
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 उसे सफल घोषित कर काउंसिलिंग भी पूरी की गई और जिला आवंटित कर दिया गया था। बाद में आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संशोधित परिणाम जारी किया, जिसमें प्रार्थी का नाम नहीं था। 
  
 इस दौरान प्रार्थी को आरक्षण का भी लाभ नहीं दिया गया है। इस पर अदालत ने आयोग को यह स्पष्ट करने को कहा कि मूल परिणाम में अनारक्षित श्रेणी में चयनित अभ्यर्थी को संशोधित परिणाम से किन कारणों से बाहर किया गया। 
  
 
 अदालत ने प्रार्थी का प्राप्तांक और बीसी-टू में अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थी अंक विवरण कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। 
 नेतरहाट स्कूल के मामले में सरकार से मांगा जवाब 
 
 झारखंड हाई कोर्ट में नेतरहाट स्कूल की गरिमा वापस लाने और व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। 
  
 सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार और विद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। 
 सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नेतरहाट विद्यालय का पुराना गौरव वापस लाने के लिए वर्तमान में नेतरहाट विद्यालय कार्यकारिणी समिति भंग की जानी चाहिए। 
 समिति का गठन सही तरीके से नहीं किया गया है। विद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को पद से हटाने का भी आग्रह किया गया है। |