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क्यों बिहार की राजनीति में छाए संजय यादव? क् ...

hank 2025-9-23 07:15:12 views 1252

मुकेश शर्मा, रेवाड़ी। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इस समय संजय यादव का नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। बिहार और वहां की राजनीतिक से भले ही उनका पहले कोई गहरा ताल्लुक नहीं रहा लेकिन, इस समय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के सबसे करीबी लोगों में से एक नाम संजय यादव का है।




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वहीं, हालांकि, संजय के नाम पर लालू परिवार में ही अंतर्कलह देखने को मिल रही है। हाल में लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी बिना नाम लिए संजय की भूमिका पर सवाल उठाए तो फिर से वह सुर्खियों में आ गए।



मूलरूप से हरियाणा में महेंद्रगढ़ जिले के गांव नांगल सिरोही के रहने वाले संजय फिलहाल आरजेडी से राज्यसभा सदस्य के साथ ही तेजस्वी के राजनीतिक और रणनीतिकार सलाहकार भी है। संजय का कोई खास राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। उनके स्वर्गीय पिता प्रभाती लाल वर्ष 2000 में सिर्फ एक बार अपने गांव की पंचायत में पंच बने थे। कोई दूसरा पारिवारिक सदस्य कभी राजनीति में नहीं रहा। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए के बाद संजय को तेजस्वी यादव के परिवार की एक कंपनी में गुरुग्राम में मैनेजर की नौकरी मिल गई। यहीं से उनकी दोस्ती तेजस्वी से हो गई। संजय भी तेजस्वी की तरह क्रिकेट के दीवाने थे। दोनों दिल्ली की एक ही क्रिकेट अकादमी में जाने लगे। लंबे समय तक दोनों ने साथ में क्रिकेट खेला। बाद में तेजस्वी बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए। इस बीच, लालू प्रसाद के चारा घोटाले में जेल जाने पर राजनीतिक बागडोर तेजस्वी के हाथों में आ गई और उन्होंने अपने सबसे करीबी मित्र संजय को अपने पास पटना बुला लिया।



पहले सलाहकार, फिर राज्यसभा सदस्य बनाया


राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार पहुंचने के बाद तेजस्वी को युवाओं के बीच आधुनिक नेता के तौर पर स्थापित करने में संजय की अहम भूमिका रही है। 2018 तक संजय तेजस्वी के साथ उनके सबसे करीबी के तौर पर काम तो करते रहे, लेकिन उनका नाम इतना चर्चा में नहीं रहा। बाद में तेजस्वी ने उन्हें अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया। तेजस्वी का बेहद करीबी होने के कारण उन्हें 2024 में राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया। कुछ साल पहले तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप ने भी संजय पर निशाना साधा था।



बेटे के कुआं पूजन कार्यक्रम में पहुंचे थे तेजस्वी


संजय का भले ही ज्यादातर समय दिल्ली और पटना में बीतता है लेकिन उनका पैतृक गांव से जुड़ाव बना रहा है। संजय के ताऊ के बेटे राजकुमार ने बताया कि वह होली-दीपावली पर हर साल गांव में आते हैं। सितंबर 2024 में संजय के बेटा होने पर गांव में कुआं पूजन कार्यक्रम किया गया था, जिसमें शामिल होने के लिए तेजस्वी भी आए थे। दो माह पहले उनकी मौसी का निधन हो गया था। वह उस समय भी एक सप्ताह गांव में ही रुके थे। संजय के पिता का 2014 में निधन हो गया था। उनकी तीन बहनें हैं। एक बहन दिल्ली में शिक्षिका है, जबकि दो बहनों की शादी महेंद्रगढ़ के ही आसपास के गांव में हुई है। संजय की दो बेटियां व एक बेटा है। पैतृक गांव नांगल सिरोही में उनके चाचा और ताऊ के बच्चे रहते हैं। संजय स्कूली पढ़ाई के बाद अपनी मौसी के यहां दिल्ली के नजफगढ़ में रहने चले गए थे। वहीं से उन्होंने आगे की पढ़ाई की और उनका परिवार भी दिल्ली में रहता है।
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