छात्र दीपक की मां सीमा व पिता दुर्गेश गुप्ता । जागरण
जागरण संवाददाता, गाेरखपुर। महुआचाफी गांव में नीट की तैयारी कर रहे छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के बाद जिस कुख्यात तस्कर जुबैर का नाम सामने आया था, वह आखिरकार अपने अंजाम तक पहुंच गया। पुलिस और एसटीएफ की टीमें पिछले 10 दिन से दिन-रात उसके पीछे लगी थीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
150 से अधिक ठिकानों पर दबिश, 100 से अधिक लोगों से पूछताछ और लगातार निगरानी के बाद शुक्रवार देर रात रामपुर जिले में हुई मुठभेड़ में वह ढेर हो गया।
दीपक की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। वारदात के बाद पुलिस ने जुबैर को मुख्य साजिशकर्ता मानते हुए उसकी धर-पकड़ को चुनौती बना लिया। गोरखपुर से लेकर बिहार तक, छोटे गांव से लेकर बड़े कस्बों तक पुलिस की गाड़ियां पहुंचीं। दरवाजे खटखटाए गए, जंगल छाने गए, रिश्तेदारी तक खंगाली गई। 150 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी हुई, लेकिन जुबैर हर बार बच निकलता।
तलाश का दायरा सिर्फ ठिकानों तक सीमित नहीं था। पुलिस और एसटीएफ ने 100 से अधिक करीबियों और जानकारों से पूछताछ की। कभी फोन लोकेशन से, कभी इंटरनेट मीडिया से, कभी गुप्तचरों की खबरों से सुराग मिले। दबिश इतनी सख्त थी कि उसके परिवार और रिश्तेदार भी घर छोड़कर भाग गए।
गांव में लोग नाम लेने से कतराने लगे।शुक्रवर की देर रात सूचना मिली कि जुबैर रामपुर इलाके में अपने दो साथियों के साथ छिपा है।एसटीएफ व रामपुर जिले की पुलिस ने घेराबंदी की तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में गोली लगते ही वह गिर पड़ा।
जुबैर की मौत की खबर जैसे ही महुआचाफी पहुंची, दीपक का परिवार और गांव के लोग थोड़ा सुकून महसूस करने लगे। दीपक की मां सीमा देवी ने कहा बेटे का कातिल अपने अंजाम तक पहुंचा। भगवान का न्याय मिला। अब बाकी तस्करों को भी सजा मिलनी चाहिए।Pakistan terrorism,India Pakistan relations,शहबाज शरीफ UN speech,UNGA India response,Petal Gahlot UN address,Closure of terror camps,India demands extradition of terrorists,Pakistans hypocrisy,United Nations General Assembly,cross-border terrorism
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पिता दुर्गेश गुप्ता ने भावुक होकर कहा हमारे बेटे को वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन अपराधियों का यह अंजाम देखकर तसल्ली हुई।अब मन्नू निषाद भी जल्द पकड़ा जाए।मुठभेड़ में मारे गए तस्कर पर पिपराइच के अलावा जिले के सिकरीगंज थाने में भी एक वर्ष पहले पशु तस्करी व हत्या की कोशिश करने का मुकदमा दर्ज हुआ था।
अब निशाने पर मन्नू निषाद :
महुआचाफी कांड में पुलिस ने आठ आरोपित तस्करों की पहचान की थी। अजहर हुसैन ग्रामीणों के हत्थे चढ़ा और बाद में उसकी मौत हो गई। रहीम मुठभेड़ में पकड़ा गया, राजू, छोटू और रामलाल जेल भेजे जा चुके हैं। मन्नू शाह ने पुराने केस में समर्पण किया है। अब पुलिस की नजर सिर्फ पिपराइच के मन्नू निषाद पर है, जिसे जुबैर का स्थानीय सहयोगी माना जाता है।
कब क्या हुआ :
- 15 सितंबर: रात 11 बजे महुआचाफी गांव में पशु तस्करों की दो गाड़ियां घुसती हैं। ग्रामीणों ने घेराबंदी की। अफरातफरी में छात्र दीपक गुप्ता को अगवा कर हत्या कर दी जाती है।
- 15 सितंबर : मध्यरात्रिगोपालगंज का अजहर हुसैन ग्रामीणों के हत्थे चढ़ा। पिटाई में घायल होकर बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हुआ। बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
- 16 सितंबर : सुबह घटना की जानकारी से पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया। पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हुए।एडीजी जोन ने जुबैर,मन्नू शाह व रहीम पर एक-एक लाख का इनाम घोषित किया।
- 17 सितंबर: कुशीनगर में मुठभेड़ के दौरान आरोपी रहीम गिरफ्तार। इसी दिन गीडा क्षेत्र के तस्कर राजू, छोटू और रामलाल भी दबोचे गए।
- 18 सितंबर : एडीजी जोन मुथा अशोक जैन के आदेश पर कुशीनगर जिले में तैनात दो थानेदार,चार चौकी प्रभारी समेत 33 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर किए गए।
- 19 सितंबर: पिपराइच थाने में दर्ज हत्या व पशु तस्करी के मुकदमे की विवेचना एसटीएफ को स्थांतरित कर दी गई।रात में ही दस्तावेज सौंप दिए गए।
- 21 सितंबर: अजहर हुसैन के मोबाइल से मिले 22 नंबरों के आधार पर नेटवर्क की पहचान। पुलिस व एसटीएफ ने 150 से अधिक ठिकानों पर दबिश दी।
- 25 सितंबर: एसटीएफ ने दावा किया कि अब सिर्फ जुबैर और मन्नू निषाद फरार हैं। 100 से अधिक लोगों से पूछताछ। तस्करों के करीबियों ने गांव छोड़ दिए।
- 26 सितंबर: रात में रामपुर जिले के पहाड़ी गेट इलाके में एसटीएफ को जुबैर की लोकेशन मिली। घेराबंदी पर उसने फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में ढेर हो गया।
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