बच्चों के साथ हेल्दी कम्युनिकेशन कैसे करें? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चे जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं, वे पेरेंट्स से खुलकर बात करना कम कर देते हैं। लेकिन बच्चों के साथ मजबूत कम्युनिकेशन बेहद जरूरी है।
यह बच्चे के आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास के लिए काफी जरूरी होता है। इसलिए अगर आप भी अपने बच्चे के साथ हेल्दी और मजबूत कम्युनिकेशन करना चाहते हैं, तो आपको 5 टिप्स को फॉलो करना चाहिए।
एक्टिव लिसनिंग की प्रैक्टिस करें
सुनना कम्युनिकेशन का सबसे अहम हिस्सा है। जब बच्चा कुछ कह रहा हो, तो उसे पूरा ध्यान दें। फोन या टीवी से दूर रहें, आंखों में देखें और उसकी बात को बीच में न काटें। उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। इससे बच्चे को लगेगा कि उसकी बात आपके लिए जरूरी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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भावनाओं को समझें
बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज न करें। चाहे वह खुशी हो, गुस्सा हो या डर, उनके एहसासों को स्वीकार करें। “तुम इस बात से नाराज लग रहे हो“ या “लगता है तुम्हें यह बात डरा रही है“ जैसे वाक्यों से बच्चे को अपनी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में मदद मिलती है। यह उन्हें भावनात्मक रूप से समझदार बनने में सहायक होता है।
साफ और आसान भाषा का इस्तेमाल करें
उम्र के अनुसार आसान शब्दों में बात करें। लंबे लेक्चर देने के बजाय साफ और आसान शब्दों में निर्देश दें। नकारात्मक भाषा के स्थान पर सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करें, जैसे- “कमरे में शोर मत करो“ की जगह “प्लीज धीमी आवाज में बात करो“ कहना ज्यादा असरदार साबित हो सकता है।
गुस्से पर कंट्रोल रखें
गुस्से में की गई बातचीत कभी पॉजिटिव नतीजे नहीं देती। जब आप खुद को परेशान महसूस करें, तो गहरी सांस लेकर कुछ देर के लिए पॉज लें। चिल्लाने या डांटने के बजाय शांति से अपनी बात रखें। याद रखें, आपका व्यवहार बच्चे के लिए एक मॉडल है। वह आपसे ही संवाद के तरीके सीखता है।
क्वालिटी टाइम बिताएं
रोजाना कुछ समय सिर्फ बच्चे के साथ बिना किसी डिसट्रैक्शन के बिताएं। यह समय उसकी पसंद की गतिविधियों में व्यतीत करें- खेलना, कहानी सुनाना या बस बातचीत करना। इस दौरान बच्चों की हॉबीज और विचारों के बारे में पूछें और उसे पूरी तरह सुनें। यह आपसी विश्वास बढ़ाता है।
हेल्दी कम्युनिकेशन एक आर्ट है जिसमें समय और धैर्य लगता है। छोटी-छोटी बातचीत से शुरुआत करें और इन टिप्स को धीरे-धीरे अपनी रूटीन में शामिल करें। जब बच्चे को लगेगा कि उसकी बात सुनी जाती है और उसके विचार जरूरी हैं, तो वह खुलकर अपनी बात शेयर करेगा और आपके साथ एक स्वस्थ रिश्ता विकसित करेगा।
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