deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

UP में केमिकल से पका केला सेहत को पहुंचा रहा नुकसान, रहें सावधान

LHC0088 5 day(s) ago views 935

  



जागरण संवाददाता, कसया। कसया क्षेत्र में सौ बीघा भूमि में केला की खेती हो रही है। कारोबारी किसान के खेत से ही केले की खरीद कर मुनाफाखोरी के चक्कर में कच्चे केला को रासायनिक दवाओं के उपयोग से पका रहे हैं जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। इन दिनों बाजार और ग्रामीण क्षेत्रों में ठेला पर रखे केला का नीचे का हिस्सा पीला, फिर हल्का हरा और ऊपर से गहरा हरा दिखाई देता हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वह केमिकल से पका हैं। बीते 10 वर्षों से परंपरागत खेती को छोड़ केला की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि अन्य राज्यों से केला यहा कम आ रहा है। कसया के आसपास बाजारों व चौराहों पर केले की आपूर्ति हो जा रही है। केला सेहत के लिए फायदेमंद भी है।

त्योहारी सीजन में मांग अधिक होने पर कारोबारी मुनाफाखोरी के चलते रासायनिक दवाओं से कच्चा केला को पका कर बेच रहे हैं, जो लिए बेहद हानिकारक हैं। केला कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जा रहे हैं जो अत्यंत घातक हैं। कारोबारी घोल में केला को डूबो कर रख देते हैं, जो छह से नौ घंटों में पीला हो जाता हैं।

वरिष्ठ चिकित्सक डा. ज्ञानप्रकाश राय की मानें तो कैल्शियम कार्बाइड कारसीनोजैनिक होता हैं। जो कैंसर का कारक बनाता हैं। ऐसे जहर से नहाए हुए केलों के सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता हैं। आंत की बीमारियां, डिहाइड्रेशन, डायरिया, पेप्टिक अल्सर, आंखों की रोशनी पर भी फर्क पड़ता हैं।

केमिकल युक्त फल खाने से न्यूरोलाजिकल सिस्टम डैमेज हो जाता है। इससे सिर में दर्द, चक्कर व नींद में दिक्कत, हाइपोक्सिया तक हो सकता है। दस्त, खूनी दस्त, पेट व सीने में जलन, निगलने में तकलीफ, गले में सूजन, मूंह, नाक व गले में छाले व सांस लेने में तकलीफ केमिकल युक्त फलों व सब्जियों से होने वाले गंभीर बीमारियों का सूचक है।

यदि गर्भवती महिलाएं केमिकल्स से पके फलों का सेवन करती है, तो बच्चे भी प्रभावित होते हैं। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार राय ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

कार्बाइड से पके केले की पहचान

कार्बाइड के प्रयोग से पकाए फल पूरी तरह नहीं पक पाते हैं। इस प्रयोग से फल ऊपर से पके और अंदर से कच्चे होते हैं। इसका रंग भी प्राकृतिक रूप से पके फलों की अपेक्षा गहरा होता है। यह फल स्वादिष्ट नहीं होते। हल्के पीले रंग के होते हैं तथा छिलका मोटा होता हैं। ऊपर से इसका डंठल हरा दिखाई देता हैं। प्राकृतिक तरीके से पके हुए केले में हल्के भूरे और काले रंग के धब्बे तथा खाने में मीठे होते हैं।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
70956