deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Devotthan Ekadashi: ज्योतिषाचार्य की इस विधि से करें पूजा और व्रत, ये हैं विवाह के शुभ मुहूर्त

Chikheang 5 day(s) ago views 384

  

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।



जागरण संवाददाता, आगरा। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को देवउठनी, प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह पावन तिथि एक नवंबर से आरंभ होकर दो नवंबर तक रहेगी। उदया तिथि को आधार मानते हुए देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह कार्यक्रम दो नवंबर को शुभकारी माना जा रहा है। इसके साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और यज्ञ जैसे धार्मिक कार्य पुनः आरंभ हो जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
उदया तिथि के अनुसार तुलसी विवाह दो नवंबर को, तभी आरंभ होंगे शुभ व मांगलिक कार्य

  

ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के जागरण का पर्व माना जाता है। इस दिन का व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और पवित्रता का संचार करता है। यही वह अवसर है जब धर्म और मंगल की दिशा में नया अध्याय आरंभ होता है। चातुर्मास समाप्ति के बाद मानव जीवन में उत्सव, भक्ति और शुभ कार्यों का नवप्रकाश फैलता है। इस वर्ष एकादशी तिथि एक नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से प्रारंभ होकर दो नवंबर को शाम सात बजकर 31 मिनट तक रहेगी।


गृहस्थ एक को, वैष्णव दो को रखेंगे व्रत


ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि दो दिन की एकादशी पड़ने की स्थिति में व्रत किस दिन रखा जाए, इसको लेकर संशय की स्थित है। ऐसी स्थिति में त्रयोदशी तिथि में व्रत पारण न करने के सिद्धांत का पालन करते हुए गृहस्थजन एक नवंबर को व्रत रखेंगे, जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग (साधु-संत) दो नवंबर को व्रत का पालन करेंगे। व्रत का पारण 2 नवंबर को हरिवासर समाप्त होने के बाद दोपहर 1:08 से 3:21 बजे के बीच किया जाएगा।


यह है मान्यता


देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक के चार माह को चातुर्मास कहा जाता है। इस अवधि में भगवान विष्णु शयन करते हैं और कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि वर्जित रहते हैं। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी को भगवान श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागकर लोक कल्याण के कार्यों की पुनः शुरुआत करते हैं और शुभ कार्यों का आरंभ होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक दैत्य का वध कर धर्म की पुनः स्थापना की थी। युद्ध के पश्चात वह क्षीरसागर में शयन करने चले गए और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागे। इसी कारण यह तिथि विष्णु-प्रबोधिनी एकादशी या हरि-प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी विख्यात है।


पूजा-विधि और व्रत की परंपरा


इस दिन प्रातः स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। मंदिर की साफ-सफाई कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान को तुलसी दल, पीले पुष्प और पंचामृत से स्नान कराकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र से उनका पूजन किया जाता है। शाम को दीपदान और आरती के साथ भगवान को शयन से जगाया जाता है। कई घरों में प्रतीकात्मक रूप से भगवान की शय्या बनाई जाती है और तुलसी चौरा सजाकर दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं।


तुलसी विवाह से आरंभ होगा शुभ कार्यों का क्रम


देवोत्थान एकादशी के अवसर पर दो नवंबर को तुलसी विवाह होगा। इस दिन भगवान श्रीहरि स्वरूप शालिग्राम और मां तुलसी का दैवीय विवाह कराया जाता है। यह विवाह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है और इसके साथ ही विवाह व मांगलिक आयोजनों पर लगी रोक हटती है। महिलाओं में तुलसी विवाह को लेकर विशेष उत्साह है। घर-घर में तुलसी चौरे को सजाकर दीपक प्रज्वलित करने के साथ उनके विवाह की तैयारियां की जा रही हैं।


विवाह के शुभ मुहूर्त


देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर माह में विवाह के शुभ मुहूर्त दो, तीन, छह, आठ, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर को हैं। दिसंबर में चार, पांच और छह दिसंबर शुभ तिथियां होगी। जनवरी में कोई मुहूर्त नहीं है, जबकि फरवरी में पांच, छह, आठ, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25 और 26 को विवाह का शुभ व योग्य मुहूर्त है। वहीं फरवरी में पांच, छह, आठ, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25 और 26 को और मार्च में दो, तीन, चार, सात, आठ, नौ 11 और 12 को विवाह का शुभ मुहूर्त होगा।

विवाह मुहूर्त तय करते समय पंचांग के साथ व्यावहारिक दृष्टि भी महत्वपूर्ण होती है। विवाह के दिन ग्रह-नक्षत्रों के साथ-साथ परिवार की सुविधा और परिस्थिति का भी ध्यान रखा जाता है।
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments
Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
75378