मोथा चक्रवात का मिजाज मौसम विज्ञानियों के अनुसार बदलने लगा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बनारस समेत पूर्वांचल के दसों जिलों में बुधवार आधी रात से सुबह नौ बजे तक लगभग पांच से सात मिमी बारिश हुई। इस बारिश के कारण न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 20.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस दौरान 16 से 24 किमी प्रति घंटा की गति से चली हवा ने धान की पकी फसल को प्रभावित किया, जिससे खेतों में मड़ाई के लिए काटकर रखी गई धान की फसल भींग गई और मड़ाई का कार्य बाधित हुआ।
कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, सोनभद्र में सर्वाधिक 20 प्रतिशत धान की फसल बर्बाद होने की संभावना है, जबकि अन्य जिलों में पांच से 15 प्रतिशत धान की फसल को नुकसान पहुंचा है।
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद मोंथा कमजोर पड़ गया है और अब इसके प्रभाव के रूप में केवल बादल और फुहारें शेष हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारी वर्षा की संभावना नहीं है, लेकिन कहीं-कहीं हल्की या छिटपुट वर्षा हो सकती है।
शनिवार से आसमान साफ होने की उम्मीद है, जिससे मौसम में सुधार की संभावना है। इस वर्षा ने किसानों के लिए चिंता का विषय बना दिया है, खासकर उन किसानों के लिए जिनकी फसलें कटाई के लिए तैयार थीं। धान की फसल की बर्बादी से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि इससे खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।
किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित किसानों की सहायता के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। मौसम की इस स्थिति ने कृषि क्षेत्र में एक बार फिर से चुनौतियों को उजागर किया है, जिससे किसानों को उचित योजना और सहायता की आवश्यकता है। इस प्रकार, मौसम की इस अनियमितता ने पूर्वांचल के किसानों के लिए नई समस्याएं खड़ी कर दी हैं, जिनका समाधान समय पर किया जाना आवश्यक है।
वाराणसी में अधिकतम तापमान सामान्य से 5.1 डिग्री कम 23.8°C दर्ज किया गया। न्यूनतम तापमान 20.8°C दर्ज किया गया जो 3.0 डिग्री सामान्य से कम रहा। इस दौरान 007.0mm बारिश भी दर्ज की गई। जबकि आर्द्रता न्यूनतम 91% और अधिकतम 96% फीसद दर्ज किया गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में एक नवंबर को भी बादलों की सक्रियता का संकेत जारी किया गया है। |