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यूपी में अग्निशमन के कानूनों के उल्लंघन को उद्यमियों पर लगेगा एक लाख का अर्थदंड, सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य

LHC0088 5 day(s) ago views 1086

  



मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को अब विभिन्न प्रकार के औद्योगिक अपराधों को लेकर सजा का प्रविधान लगभग समाप्त कर दिया गया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश अग्निशमन और आपातकालीन सेवा अधिनियम, 2022 का उल्लंघन करने पर उद्यमियों पर अधिकतम एक लाख रुपये का अर्थ दंड लगाया जाएगा। पहले इस मामले में बिना वारंट के संबंधित की गिरफ्तारी का प्रविधान था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

औद्योगिक विकास विभाग के अनुसार कैबिनेट से मंगलवार को स्वीकृत किए गए उत्तर प्रदेश सुगम व्यापार (प्रविधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025 को जल्द लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत उत्तर प्रदेश गन्ना (आपूर्ति एवं खरीद विनियमन) एक्ट 1953 के उल्लंघन के मामले में छह माह की सजा का प्रविधान था, जिसे अब समाप्त कर दो लाख रुपये तक का अर्थ दंड लगाया जाएगा। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सिनेमा (रेग्युलेशन एक्ट)-1955 का उल्लंघन करने पर तीन माह तक की सजा को समाप्त कर 10 हजार से एक लाख रुपये तक का अर्थ दंड लगाया जाएगा।

अध्यादेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 के उल्लंघन पर छह माह की सजा को समाप्त कर 50 हजार रुपये प्रति अपराध अर्थ दंड दिया जाएगा।

वहीं, उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अधिनियम 1961 को न मानने पर तीन माह की सजा को समाप्त कर पहली बार अपराध करने पर 25 हजार रुपये और दूसरी बार अपराध करने पर 50 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया जाएगा।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास एक्ट-1976 के उल्लंघन पर छह माह के स्थान पर अब अपराध करने पर एक लाख से लेकर दो लाख रुपये तक का अर्थ दंड लगाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश मादक पान (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट 1976 के उल्लंघन पर छह माह की सजा के स्थान पर 50 हजार से दो लाख रुपये का अर्थ दंड लगाया जाएगा।

उद्योगों के लिए पेड़ों की कटाई पर उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण एक्ट 1976 के तहत सजा और एक हजार से पांच हजार रुपये तक जुर्माने को बढ़ाकर अब 10 हजार से एक लाख रुपये कर दिया गया है। अगर पेड़ों की संख्या काफी ज्यादा है तो अर्थ दंड भी उसी के अनुसार लगाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के उल्लंघन पर दो वर्ष तक की सजा के प्रविधान को समाप्त कर 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और उत्तर प्रदेश भूजल (प्रबंधन एवं रेग्युलेशन) एक्ट-2019 के तहत भूजल को प्रदूषित करने के आरोप में सजा के प्रविधान को समाप्त कर दो से 10 लाख रुपये तक अर्थ दंड लगाया जाएगा।
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