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पराली जलाने पर यूपी के किसानों को देना पड़ेगा इतना जुर्माना, आकाश से सैटेलाइट तो जमीन पर अधिकारी करेंगे निगरानी

cy520520 7 day(s) ago views 1096

  



जागरण संवाददाता, मीरजापुर। पराली जलाने वालों की निगरानी सख्त होगी। आकाश से सैटेलाइट तो जमीन पर जिला प्रशासन की ओर से गठित टीम के अधिकारी निगरानी करेंगे। किसी के पराली जलाते पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पराली न जलाने के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। पिछले वर्ष जनपद में पराली जलाने पर 11 किसानों से 25 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया था। कृषि विभाग का कहना है कि किसान पराली का उपयोग खेत में खाद के रूप में कर सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

धान सहित अन्य फसलों का अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सैटेलाइट आकाश से नजर रखेगी। इसके साथ ही भूमि पर निगरानी के लिए जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार ने जनपदस्तरीय टीम गठित की है। इसमें अपर जिलाधिकारी वित्त व राजस्व अध्यक्ष, अपर पुलिस अधीक्षक नक्सल सदस्य, उप निदेशक कृषि विकेश कुमार पटेल सदस्य, सचिव जिला कृषि अधिकारी डा. अवधेश कुमार यादव सदस्य, जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य एवं जिला पंचायत राज अधिकारी को सदस्य नामित किया है। टीम धान कटने के समय से लेकर रबी की बोआई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की निगरानी करेगी। इसी प्रकार तहसील स्तर पर गठित टीम में संबंधित एसडीएम, सीओ व संबंधित एडीओ कृषि को शामिल किया गया है। कहीं भी इस तरह का मामला सामने आने पर संबंधित की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

पांच एकड़ से अधिक जलाने पर 15 हजार जुर्माना
धान की फसल तैयार हो गई है। कहीं-कहीं किसान कटाई के बाद पराली को खेत में ही जला देते हैं, जिससे वायु प्रदूषण होता है। किसानों के खेत में फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना वसूल किया जाता है। उप निदेशक कृषि ने बताया कि दो एकड़ फसल अवशेष जलाने पर 2500, दो से पांच एकड़ तक जलाने पर पांच हजार व पांच एकड़ से अधिक पराली जलाने पर 15,000 का अर्थदंड वसूला जाएगा। पिछले वर्ष जनपद में पराली जलाने की 11 घटनाएं हुई थीं। इसके चलते किसानों से 25 हजार रुपये जुर्माना वसूल किया गया था।

किसान स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम संग हार्वेस्टर करें प्रयोग, वरना होगा सीज
किसान पराली जलाने की बजाए कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) का प्रयोग करते हुए पराली का प्रबंधन कटाई के समय ही करें। एसएमएस के विकल्प के रूप में अन्य यंत्र स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बेलर, मल्चर, पैडी स्ट्राचापर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लैशर, रिवर्सबुल एमबी प्लाऊ का प्रयोग कर सकते हैं। इससे खेत में फसल अवशेष बंडल बनाकर अन्य उपयोग में ला सकते हैं। संचालक एसएमएस की व्यवस्था कराते हुए ही कटाई कराएं। अन्यथा हार्वेस्टर सीज हो जाएगा।


किसान पराली जलाने की बजाए जैविक खाद बनाकर उपयोग कर सकते हैं। ग्राम प्रधान व क्षेत्रीय लेखपाल किसानों को पराली व कृषि अपशिष्ट न जलाने के लिए प्रेरित करें। पराली जलाने की घटना प्रकाश में आने पर संबंधित जिम्मेदार होंगे। पराली जलाने पर नियमानुसार जुर्माना लगेगा।
-पवन कुमार गंगवार, जिलाधिकारी।
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