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सुनवाई के दौरान वकील ने हाई कोर्ट के जज को दी धमकी, बार काउंसिल को जांच का आदेश_deltin51

Chikheang 2025-9-26 17:06:21 views 1249

  हाई कोर्ट ने वकील के आचरण को माना गलत





राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने बोकारो के चास थाना क्षेत्र के एक जमीन विवाद मामले में दो याचिकाकर्ताओं की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

अदालत ने प्रार्थियों के वकील राकेश कुमार के अदालत कक्ष में चिल्लाने और धमकी भरे आचरण पर गंभीर असंतोष जताया है। अदालत ने इसे आपराधिक अवमानना का मामला बताया, लेकिन एडवोकेट एसोसिएशन के सदस्यों के अनुरोध पर वकील के खिलाफ तत्काल कार्रवाई न करते हुए मामला झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष को भेजने का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



अदालत ने अपने आदेश में कहा गया है कि वकील का यह आचरण न्यायपालिका की साख पर हमला है। हालांकि, अदालत में मौजूद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और अन्य वरिष्ठ वकीलों ने वकील राकेश कुमार को एक मौका देने की गुजारिश की।
बार काउंसिल के अध्यक्ष को जांच की जिम्मेदारी

इसपर अदालत ने उनके खिलाफ तत्काल अवमानना की कार्रवाई न करते हुए मामले की जांच का दायित्व झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष को सौंपा है। घटना के समय बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण भी अदालत कक्ष में मौजूद थे।

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न्यायालय के रजिस्ट्री को यह आदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष को तत्काल भेजने के निर्देश दिए गए हैं। यह मामला चास थाना से जुड़ा है, जिसमें जमीन हड़पने का आरोप लगाया गया है।
विवादित जमीन पर मालिकाना हक

प्रार्थी के वकील राकेश कुमार ने दावा किया कि उनके मुवक्किलों को झूठे फंसाया गया है और विवादित जमीन पर उनका मालिकाना हक है।

अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। जस्टिस एसके द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थी पर 80 वर्षीय व्यक्ति की जमीन हड़पने के गंभीर आरोप हैं और उनका आपराधिक इतिहास भी सामने आया है।


सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी

अदालत ने कहा कि झारखंड में इस तरह के अपराध बहुत आम है और ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा। जमानत याचिका खारिज होने के बाद प्रार्थी के वकील राकेश कुमार ने अदालत कक्ष में जोर-जोर से बहस शुरू कर दी और न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी।

अदालत ने इस घटना को न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने और अदालत की अवमानना का प्रयास बताया। अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है और अदालत कक्ष में ऐसे बर्ताव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।



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