deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

कब और क्यों हुई एच-1बी वीजा की शुरुआत, क्यों ह ...

LHC0088 2025-9-22 09:04:29 views 1271


जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के आवेदन शुल्क में बड़ा बदलाव करते हुए इसे 15 गुना तक बढ़ाकर एक लाख डॉलर यानी लगभग 90 लाख रुपये करने का फैसला किया है।
अब तक ये फीस कंपनियों की कैटेगरी के मुताबिक 2000 डॉलर से लेकर 5000 डॉलर के बीच रहती थी। इसके बाद भारत से लेकर अमेरिका तक खलबली मच गई है।
अमेरिका जाने की तैयारी में जुटे भारतीयों को ट्रंप के इस फैसले से काफी झटका लगा है। ऐसे में एक बार फिर एच-1बी वीजा को लेकर बहस छिड़ गई है। वीजा का मामला अक्सर विवादों में रहा है। एच-1बी कार्यक्रम की शुरुआत 1990 में हुई थी। इसे अमेरिका के आव्रजन अधिनियम के तहत बनाया गया था।




विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें





हर कंपनियों को इतने एच-1बी वीजा उपलब्ध कराती है अमेरिकी सरकार

अमेरिका की सरकार हर साल विभिन्न कंपनियों को 65-85 हजार एच-1बी वीजा उपलब्ध कराती है, जिनकी मदद से कंपनियां विदेशों से कुशल कामगारों को नौकरी दे सकती हैं। इनके अतिरिक्त एडवांस डिग्रीधारकों के लिए अमेरिकी सरकार की ओर से 20 हजार अतिरिक्त वीजा कंपनियों को दिए जाते हैं।


यह वीजा तीन साल के लिए मान्य होता है और इसे अगले तीन वर्षों के लिए रिन्यू कराया जा सकता है। इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को मिल रहा था, जो पूरे वीजा कोटा का 73 प्रतिशत तक हासिल कर लेते हैं।



एच-1बी वीजा के लिए क्यों होता रहता है विवाद?

एच-1बी वीजा नौकरी की प्रतिस्पर्धा, वेतन में कमी और आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा अमेरिकी कर्मचारियों की जगह सस्ते विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने के दुरुपयोग की चिंताओं के कारण विवादों को जन्म देता रहा है।


आलोचक वीजा धारकों के लिए शोषण के जोखिम और ग्रीन कार्ड के लंबित मामलों पर ज़ोर देते हैं, जबकि समर्थक आर्थिक योगदान और नवाचार पर जोर देते हैं। कम वीजा सीमा और आव्रजन संबंधी बहस तनाव को और बढ़ा रही है, जिससे सुधारों पर ध्रुवीकृत विचार सामने आ रहे हैं। समय-समय पर अमेरिका सरकार इस पर सख्त करती रहती है। यही कारण है कि इस पर हमेशा विवाद होता रहता है।

साल दर साल कैसे बढ़ी और घटी एच-1बी वीजा की संख्या?

प्यू रिसर्च के अनुसार 2024 में उच्च-कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए लगभग चार लाख एच-1बी आवेदन स्वीकृत किए गए। यह वित्त वर्ष 2000 में स्वीकृत आवेदनों की संख्या के दोगुने से भी अधिक है। स्वीकृतियों की संख्या 2022 में चरम पर थी, जब 442,425 आवेदन स्वीकृत किए गए थे। 2013 से, हर साल अधिकांश स्वीकृतियां रोजगार नवीनीकरण के लिए आवेदनों की रही हैं। 2024 में, स्वीकृत आवेदनों में से 65 प्रतिशत यानी 258,196, नवीनीकरण के लिए थे। शेष 35 प्रतिशत यानी 141,207, प्रारंभिक रोजगार के लिए नए आवेदन थे।



2022 में एच-1बी आवेदनों के अस्वीकार होने की दर घटकर दो प्रतिशत रह गई, जो 2009 के बाद से सबसे कम थी। ट्रंप के पहले प्रशासन के दौरान, 2018 में अस्वीकृति दर 15 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई थी। इसमें शुरुआती रोजगार के लिए 24 प्रतिशत नए आवेदन और निरंतर रोजगार के लिए नवीनीकरण आवेदनों का 12 प्रतिशत हिस्सा शामिल था। ट्रंप प्रशासन ने "विशेष व्यवसायों" की परिभाषा को कड़ा करने और एच-1बी कर्मचारियों की तृतीय-पक्ष नियुक्तियों को सीमित करने सहित, कड़े आव्रजन नियम लागू किए।


अमेरिकियों का एच-1बी वीजा पर क्या है कहना?

लगभग 40 प्रतिशत अमेरिकी मानते हैं कि कानूनी आव्रजन के लिए उच्च-कुशल श्रमिकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके अलावा, अगस्त 2024 में प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 60 प्रतिशत मतदाताओं का कहना है कि कानूनी अप्रवासी उन नौकरियों को भरते हैं जिन्हें अमेरिकी नागरिक नहीं चाहते।


2023 में, शीर्ष 10 एच-1बी नियोक्ताओं में से तीन का मुख्यालय या तो भारत में था (इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) या अमेरिका में है (काग्निजेंट टेक्नोलाजी साल्यूशंस)। यह 2016 की तुलना में गिरावट है, जब शीर्ष 10 कंपनियों में से छह का भारत से संबंध था।

वार्षिक वेतन से भी अधिक नया वीजा शुल्क

ट्रंप सरकार का ये फैसला एच-1बी वीजा व्यवस्था को खत्म करने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि अब वीजा शुल्क औसत एच-1बी कर्मचारी के लगभग पूरे साल के वेतन के बराबर हो गया है। वहीं, पहली नौकरी की तलाश करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, वीजा शुल्क अब वार्षिक वेतन से भी अधिक है।


अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने बताया कि विदेशी कामगार 60 हजार डॉलर पर भी काम करने के लिए तैयार हो गए थे, जबकि अमेरिकी आइटी पेशेवर को न्यूनतम एक लाख डॉलर देने का प्रविधान है। इससे कंपनियां अमेरिकी कामगारों की छंटनी पर जोर दे रही थीं।

अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएसआइसीएस) 2025 के अनुसार, एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत शुरुआती नौकरी के लिए औसत वेतन 97,000 डॉलर था। एच-1बी वीजा जारी रखने वालों के लिए यह संख्या थोड़ी ज्यादा (132,000 डॉलर) थी, जिससे औसतन 1,20,000 डीलर की राशि प्राप्त हुई।


ट्रंप का तर्क, क्यों बढ़ाया एच-1बी वीजा शुल्क


       
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित यानी स्टेम क्षेत्र में 2000-2019 के बीच नौकरियां केवल 44.5 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि कामगार 12 लाख से बढ़कर 25 लाख हो गए।   
  • आईटी कंपनियों ने एच-1बी प्रणाली में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया है, जिससे कंप्यूटर से संबंधित क्षेत्रों में अमेरिकी श्रमिकों को काफी नुकसान पहुंचा है।   
  • एच-1बी कार्यक्रम में आइटी कर्मचारियों की हिस्सेदारी 2003 में 32 प्रतिशत से बढ़कर पिछले 5 वित्तीय वर्षों में औसतन 65 प्रतिशत से अधिक हो गई है।   
  • कुछ बड़े एच-1बी नियोक्ता अब लगातार आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियां बन रहे हैं, जिससे नौकरियां देश से बाहर जा रही हैं।   
  • लागत घटाने के लिए कंपनियां अपने आईटी प्रभागों को बंद कर देती हैं, अमेरिकी कर्मचारियों को निकाल देती हैं और विदेशी श्रमिकों को आउटसोर्स करती हैं।   
  • कंपनियों को एच-1बी वीजा मंजूरी मिलती है, जिसके बाद वे अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी करके कम वेतन में विदेशी कामगारों को रखती हैं।
क्या है एच-1बी वीजा का गणित


       
  • 3,00,000 भारतीय एच-1बी वीजा पर फिलहाल अमेरिका में काम कर रहे हैं।   
  • 85000 एच-1बी वीजा लाटरी सिस्टम से दुनियाभर के देशों के कर्मचारियों को दिए जाते हैं।   
  • 6,00,000 रुपये फीस थी अब तक एच-1बी वीजा पाने के लिए   
  • 15 गुना तक फीस बढ़ा दी है ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा की   
  • 90 लाख रुपये वीजा फीस अगले तीन साल तक देने होंगे कंपनियों को प्रति कर्मचारी


किस कंपनी के कितने एच-1बी भारतीय

अमेजन: 10,044


टीसीएस: 5,505
माइक्रोसॉफ्ट: 5189
मेटा: 5123
एप्पल: 4202
गूगल: 4181
डेलाइट: 2353
इंफोसिस: 2004
विप्रो: 1523
टेक महिंद्रा अमेरिका: 951
एच-1बी वीजा में किसकी कितनी हिस्सेदारी




   
   

देशों का प्रतिशत




देशों का प्रतिशत वितरण





































































     देश    प्रतिशत              भारत    73%          चीन    12%          कनाडा    1%          फिलिपींस    1%          द. कोरिया    1%          अन्य देश    12%   


एच-1बी वीजा के लिए कौन है पात्र

एच-1बी वीजा नियोक्ता प्रायोजित होता है और धारक को गैर-आव्रजक का दर्जा देता है। यानी ये फीस कंपनियां भरती हैं। नियोक्ता को कर्मचारी की ओर से वीजा के लिए आवेदन करना होता है। उसे यह साबित करना होता है कि उक्त व्यक्ति उनके व्यवसाय के लिए उपयुक्त है।

इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित और व्यापार प्रबंधन से जुड़े व्यवसायों के लिए आमतौर पर एच -1 बी वीजा दिया जाता है। यह एक अस्थायी वीजा है। नवीनीकरण के लिए स्टाम्पिंग की जरूरत होती है, जिसके लिए वीजा धारकों को भारत आना पड़ता है।

यह भी पढ़ें- ट्रंप ने H1 B वीजा पर फैसला लेकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार ली? पढ़ें कितना बढ़ जाएगा US कंपनियों पर बोझ
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
68731