व्यापार विरोधी है एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि : अमेरिकी विशेषज्ञ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी सरकार द्वारा विदेशी कर्मचारियों के लिए नए एच 1बी वीजा पर शुल्क लगाने के फैसले से अगले वित्त वर्ष में भारतीय आइटी कंपनियों के परिचालन मार्जिन में केवल 10 से 20 आधार अंकों की कमी आएगी, क्योंकि कंपनियां संभवत: कुछ लागत ग्राहकों पर डाल देंगी। गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिसर्च कंपनी क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का आइटी सेवा उद्योग इस वित्त वर्ष में 143-145 अरब डालर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में दो-चार प्रतिशत की राजस्व वृद्धि को दर्शाता है, जिसके बाद एक वर्ष मामूली या स्थिर वृद्धि होगी।
अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया कि 21 सितम्बर, 2025 से प्रभावी यह निर्देश वर्तमान एच1बी धारकों या नवीनीकरण पर लागू नहीं होगा, जिससे इसका तत्काल प्रभाव कम हो जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में आइटी कंपनियों की एच-1बी वीजा पर निर्भरता कम हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2025 के बीच टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलाजीज में काम करने वाले एच-1बी वीजा पर भारतीय कर्मचारियों की संख्या 34,507 से लगभग आधी होकर 17,997 रह गई है।
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व्यापार विरोधी है एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि : अमेरिकी विशेषज्ञ
वॉशिंगटन के आव्रजन विशेषज्ञ का मानना है कि एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि का ट्रंप प्रशासन का फैसला व्यापार विरोधी है। विशेष साक्षात्कार में, थिंक टैंक थर्ड वे की सामाजिक नीति निदेशक सारा पियर्स ने कहा, ट्रंप प्रशासन जो कुछ भी कर रहा है, उससे विदेशी प्रतिभाएं अमेरिका छोड़कर जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाने से अमेरिकी छात्रों को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, अमेरिकी विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों से प्राप्त होने वाले राजस्व पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो न केवल पूरी ट्यूशन फीस देते हैं, बल्कि अमेरिका में अध्ययन के लिए आमतौर पर अतिरिक्त शुल्क भी देते हैं, और ये लाभ छात्रवृत्ति के रूप में दिए जाते हैं, जिनका उपयोग अक्सर अमेरिकी नागरिकों के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा, फीस अपने आप में चौंकाने वाली है। मुझे पूरा यकीन है कि इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।इस बीच एएनआइ के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड ने गुरुवार को कहा कि एच-1बी वीजा पर अमेरिकी नीति निवेश को प्राथमिकता देगी।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)
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