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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में 2017 से 2022 के बीच पोक्सो के तहत बच्चों के विरुद्ध दर्ज किए गए यौन अपराधों में 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या 33,210 से बढ़कर 64,469 हो गई है। हालांकि बढ़ती संख्या के बावजूद अभियोजन दर 90 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, जो कानूनी तंत्र की मजबूती को दर्शाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के सौजन्य से चाइल्डलाइट ग्लोबल चाइल्ड सेफ्टी इंस्टीट्यूट ने इस हफ्ते अपने नवीनतम \“इनटू द लाइट इंडेक्स-2025\“ के नतीजे जारी किए। इसमें इस स्थिति को दुनियाभर में फैली मानवीय त्रासदी बताया गया है।  
रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा  
 
इसके अनुसार, भारत, नेपाल और श्रीलंका के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग आठ में से एक बच्चा (12.5 प्रतिशत) 18 साल का होने से पहले यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म की शिकायत करता है। इन तीनों देशों को मिलाकर यह संख्या गभग 5.4 करोड़ होती है।  
भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान से मिलीं ज्यादा रिपोर्टें  
 
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में दक्षिण एशिया में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार की सामग्री (सीएसएएम) की ज्यादातर रिपोर्टें भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान से मिलीं। इनमें अकेले भारत ने वैश्विक निगरानीकर्ताओं के सामने 22.5 लाख मामले दर्ज कराए। हालांकि, भारत में इस क्षेत्र में सीएसएएम की सबसे कम उपलब्धता दर भी है (हर 10,000 लोगों पर 15.5 रिपोर्ट)।  
 
रिपोर्ट में बच्चों से जुड़ी यौन दुर्व्यहार की सामग्री बनाने और फैलाने के लिए एआई के गलत इस्तेमाल में बढ़ोतरी की चेतावनी भी दी गई है। 2023 और 2024 के बीच एआइ से बने सीएसएएम में 1,325 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।  
 
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)  
 
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