बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी तेज
राधा कृष्ण, पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी तेज है, और 6 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव का ऐलान हो सकता है। लेकिन चुनावी तैयारियों के बीच सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे को लेकर है। एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे राजनीतिक माहौल में उलझन बढ़ रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गठबंधनों की मांगें
एनडीए में भाजपा, जदयू, लोजपा(रा), हम(से) और रालोमो शामिल हैं, जिनकी सीटों की मांगें इस प्रकार हैं कि अगर इनकी सभी मांगें मानी जाएं तो बिहार में 283 विधानसभा सीटें होनी चाहिए। उधर, महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, माले, वीआईपी, सीपीआई, सीपीएम, रालोजपा और झामुमो हैं, जिनकी मांगें पूरी करने के लिए बिहार में 350 विधानसभा सीटें होनी चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि बिहार में मात्र 243 विधानसभा सीटें हैं।
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एनडीए की उलझन
एनडीए में जदयू और भाजपा लगभग 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं, लेकिन लोजपा(रा) 45 सीट, हम 15-20 सीट, और रालोमो 12 सीट की मांग कर रहे हैं। छोटे दलों की इन मांगों को संतुलित करना एनडीए के लिए चुनौती है।
महागठबंधन की चुनौती
महागठबंधन में राजद 140 सीट चाहता है, कांग्रेस को 70 सीट चाहिए, वीआईपी 60 सीट मांग रहा, माले 40, सीपीआई 24, सीपीएम 11 सीट चाहती है। रालोजपा और झामुमो भी सीटें मांग रहे हैं। राजद पर सभी साथी दल दबाव डाल रहे हैं, और तेजस्वी के नेतृत्व पर भी सहमति नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव बाद तय होगा कि सीएम फेस कौन होगा।
आगे की राह
चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर से पहले सभी सरकारी काम निपटाने को कहा है, जिससे चुनाव की घोषणा जल्द होने की संभावना है। नवंबर में मतदान और परिणाम आने की उम्मीद है। दोनों गठबंधनों के लिए सीट बंटवारा सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है, और इसका समाधान निकालना आसान नहीं लग रहा। |