चांद को देखकर करेंगी अपनी पूजा संपन्न
जागरण संवाददाता, पटना। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी 10 अक्टूबर को कृत्तिका नक्षत्र के साथ सिद्धि एवं जयद योग में सुहागिन करवा चौथ का व्रत करेंगी । सुहागिन अखंड सुहाग के लिए निराहार रहकर व्रत रखेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुहागिन पति की दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की कामना से पूरे दिन व्रत करने के बाद 16 शृंगार कर शिव-पार्वती, भगवान गणेश, चंद्रमा के साथ करवा माता की पूजा करेंगी। पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत को पूर्ण करेंगी। पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा अपने उच्च की राशि वृष में रहेगा। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चंद्रमा यश, आयु व समृद्धि का प्रतीक है। चंद्रमा इस दिन कृत्तिका व रोहिणी नक्षत्रों में उपस्थित रहेगा। जो शुभ परिणाम देने वाला होता है। सुहागिन मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ पूजन करेंगी। चंद्र दर्शन व पूजन के बाद सुहागिन अपने पति को चलनी से देखेंगी। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाता है। पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल संध्या 5.26 से रात्रि 8.02 बजे तक है। चंद्रोदय अर्घ्य रात्रि के 7.58 बजे से है।
करवा चौथ की तैयारियों को लेकर गुुरुवार को राजधानी के मार्केट में महिलाओं की भीड़ रही। बाजार में गहने से लेकर परिधान और कास्मेटिक, पूजन सामग्री, कपड़े व 16 शृंगार की महिलाओं ने खरीदारी की। बाजार में पूजन सामग्री को लेकर महिलाएं खरीदारी करते नजर आईं। मिट्टी के करवे 25 से 50 रुपये, छन्नी 50 से 100 रुपये प्रति पीस। इसके अलावा करवा चौथ पूजा पूरा सेट तीन सौ से पांच सौ रुपये के रेंज में बाजार में उपलब्ध है। बाजार में करवा चौथ को लेकर महिलाओं ने हाथों में मेहंदी लगवाई । शहर के लाला लाजपत राय हाल में पंजाबी बरादरी की ओर से करवा चौथ पर पूजन व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। पूजन के दौरान तीन सौ से अधिक महिलाएं विधि-विधान के साथ पूजन करेंगी।
पूजन सामग्री का विशेष महत्व
- करवा : मिट्टी के करवे में पंचतत्व में विशेष तौर पर वायु, जल का मिश्रण होता है। यह मन को नियंत्रित करता है।
- दीपक : दीपक की ज्योति वातावरण को अलोकित करती है। उसी प्रकार से हमारे जीवन में भी प्रेम स्नेह का प्रकाश विद्यमान रहे।
- छलनी : चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद छलनी या छिद्र पात्र का उपयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की सीधी रोशनी सौभाग्यवती स्त्री पर नहीं पड़े।
- कुमकुम : सौभाग्य सामग्री का विशेष उपकरण है। यह शरीर को प्राकृतिक आंतरिक सुंदरता प्रदान करने चेहरे पर चमक देता है।
- अक्षत : अक्षत यानी जिसकी क्षति न हुई हो। परमेश्वर से अक्षत की तरह ही अपनी पूजा को पूर्ण बनाने की प्रार्थना करते हैं।
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