deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

कहीं सैंपल जांच में देरी तो कहीं दोषियों को सजा दिलाने में सुस्ती, मिलावटी दवा पर किन-किन राज्यों में हुई कार्रवाई?

cy520520 2025-10-10 15:37:37 views 1247

  

दवाओं के सैंपल लेने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोल्ड्रिफ कफ सीरप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई बच्चों की मौत के बाद दवा में मिलावट के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो रही है। हालांकि, हकीकत यह है कि अधिकांश राज्यों में जांच और कार्रवाई बेहद सुस्त है। कहीं सैंपल जांच में देरी हो रही है तो कहीं दोषियों को सजा दिलाने में। आइए देखते हैं कुछ राज्यों में दवा कंपनियों पर कार्रवाई को लेकर क्या स्थिति है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मध्य प्रदेश में दवाओं के सैंपलों की जांच के लिए वर्ष 2024 तक एकमात्र लैब भोपाल में थी, जिसकी क्षमता प्रतिवर्ष चार हजार सैंपल जांचने की है। इस वर्ष से इंदौर और जबलपुर में लैब प्रारंभहो गई हैं, जिनकी क्षमता प्रतिवर्ष एक-एक हजार है। प्रदेश में प्रति वर्ष सात हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए आते हैं। वर्ष 2024 में जांच के लिए 7211 सैंपल भोपाल स्थित राज्य लैब में आए, पर क्षमता कम होने के कारण 4398 सैंपलों की जांच ही हो पाई। इनमें 51 सैंपल अमानक पाए गए। पिछले साल केवल एक मामले में विभाग आरोपी को सजा दिला पाया ।
सैंपल लिए जा रहे, कार्रवाई नहीं

झारखंड में कोल्ड्रिफ कफ सीरप की आपूर्ति नहीं हुई है। इस कारण कार्रवाई तो कुछ नहीं हुई है, लेकिन अस्पतालों में आपूर्ति की गई सभी तरह की कफ सीरप की जांच के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं। दवा की दुकानों से भी जांच के लिए सीरप के सैंपल लिए जा रहे हैं।
किसी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं

उत्तराखंड राज्य में अभी किसी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां प्रतिबंधित सीरप रखने के मामले में सात दुकानें सील की गई हैं और रेस्पिफ्रेश टीआर सीरप की 44 बोतलें नष्ट की गई हैं। प्रदेश में कई कंपनियों के सीरप प्रतिबंधित किए गए हैं। अब तक 190 सैंपल लेकर उनकी जांच की जा रही है।
राज्य सरकार ने चार दवाओं पर लगा दिया प्रतिबंध

हरियाणा में मिलावटी दवाइयों की बिक्री रोकने के क्रम में प्रदेश सरकार ने खांसी की चार दवाओं (कफ सिरप) की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें डायएथिलीन ग्लाइकाल जैसे खतरनाक रसायन की मौजूदगी पाई गई, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। सभी दवाओं के सैंपल भरकर परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं में भेजा जा रहा है।
ब्लैकलिस्ट फार्मा से दवाएं खरीदती रही राज्य की सरकार

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंडारी में आठ नवंबर, 2014 को आयोजित नसबंदी शिविर में आपरेशन के बाद 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। जांच में पता चला था कि रायपुर स्थित महावर फार्मा और बिलासपुर की कविता फार्मा द्वारा बनाई गई ऐंटिबायोटिक टैबलेट सिप्रो फ्लाक्सेसिन-500 में जिंक फास्फाइड यानी चूहे मारने वाला केमिकल मिला है। इसी जहरीली दवा के सेवन से महिलाओं की मौत हुई थी। घटना के बाद ड्रग विभाग ने दोनों कंपनियों का लाइसेंस रद कर दिया था और महावर फार्मा के संचालक रमेश महावर व उनके बेटे सुमित महावर को जेल भेजा गया था। चार स्वास्थ्य अधिकारियों को भी निलंबित किया गया था। चौंकाने वाली बात यह थी कि महावर फार्मा को 2012 में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, बावजूद इसके सरकार उससे दवाएं खरीदती रही।
14 मामले दर्ज, पर केवल तीन में ही हुई सजा

2022 से 2025 के बीच दिल्ली में नकली दवा के 14 मामले दर्ज हुए, जिनमें 18.60 करोड़ रुपये की दवा नकली पाई गई। 10 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल हुए, पर तीन में सजा हुई। जुलाई 2025 में पश्चिम विहार और सिविल लाइन्स में छापों में 11 गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन लंबी न्यायिक प्रक्रिया उनकी सजा में बाधा बनी हुई है।

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सीरप से बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग उठे गंभीर सवाल
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
124068