याचिका पर समय की कमी के कारण मंगलवार को हाईकोर्ट सुनवाई नहीं कर पाया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम 2015 की धारा 16 और 17 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ये प्रविधान कथित तौर पर निजी व्यक्तियों और निगरानी समूहों को तलाशी और जब्ती जैसी संप्रभु पुलिस शक्तियां प्रदान करते हैं, जबकि इसके लिए न तो न्यूनतम योग्यता तय की गई है और न ही कोई सुरक्षा उपायों का प्रविधान किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह याचिका नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वीमेन ने दायर की है, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। हालांकि, समय की कमी के कारण मंगलवार को इस पर सुनवाई नहीं हो सकी।
याचिका में राज्य सरकार के जुलाई 2021 के उस आदेश का उल्लेख है, जिसके तहत हर जिले में स्पेशल काउ प्रोटेक्शन फोर्स गठित की गई थी। इस बल का उद्देश्य जनता से मवेशी तस्करी और अवैध वध से संबंधित सूचनाएं प्राप्त कर त्वरित कार्रवाई करना था। इसमें हरियाणा गोसेवा आयोग के अध्यक्ष द्वारा नामित तीन सदस्य तथा स्थानीय गोरक्षक समितियों या गोसेवकों में से दो सदस्य शामिल होते हैं, जिन्हें उपायुक्त नामित करते हैं।bijnaur-crime,Bijnor News, domestic dispute,suicide attempt,Ganga river,family quarrel,domestic violence,UP News, बिजनौर समाचार,Uttar Pradesh news
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन प्रविधानों ने राज्य में गोरक्षक समूहों को वैधता और संरक्षण प्रदान किया है, जिससे उनकी गतिविधियां संगठित और आक्रामक हो गई हैं। कई स्वयंभू गोरक्षक कथित गो-तस्करी या गोवध के मामलों में लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और खुद को कानून के प्रवर्तक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, हरियाणा में फिलहाल 15 हजार से अधिक सक्रिय गोरक्षक हैं, जिनमें प्रमुख संगठन गोरक्षा दल, बजरंग दल और गोपुत्र सेना शामिल हैं। याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार ऐसे समूहों पर तत्काल कार्रवाई करे और बिना उचित मानकों के निजी व्यक्तियों को पुलिस शक्तियां सौंपने वाले प्रविधानों को रद किया जाए। |