विस चुनाव में 31 बार की कोशिश में 2005 में मिली सफलता
उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आजादी के बाद से लेकर वर्ष 2020 तक बिहार विधानसभा के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी का आंकड़ा बेहद दिलचस्प है।
इस दौरान औरंगाबाद के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में कुल 31 बार महिला प्रत्याशियों ने विधायक बनने की कोशिश की, लेकिन सफलता केवल एक बार मिली। 2005 में, देव सुरक्षित सीट से रेणु देवी ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की और जिले की पहली महिला विधायक बनीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिहार में विधानसभा चुनावों का इतिहास 1951-52 से शुरू होता है, जब पहले चुनाव में जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी।
1957 में, नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से शांति देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन वे छठे स्थान पर रहीं। उन्हें केवल 3.12 प्रतिशत वोट मिले, जो कि उस समय तक किसी भी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे कम थे।
इसके बाद, 1962 से 1972 तक चार चुनावों में कोई महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। 1977 में, नबीनगर में अवंतिका शास्त्री और रफीगंज में राधा रानी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
1980 में राधा रानी सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे भी आठवें स्थान पर रहीं। 1985 में, चंपा देवी और कुसुम देवी ने चुनावी मैदान में कदम रखा।
कुसुम देवी ने ओबरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 15.10 प्रतिशत वोट प्राप्त किए, जो उस समय तक किसी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे अधिक थे। हालांकि, 1995 में कुसुम देवी को केवल 2645 वोट मिले।
2000 और 2005 के चुनावों में भी कोई महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतरी, लेकिन अक्टूबर 2005 में, रेणु देवी ने देव सुरक्षित सीट से जीत हासिल की और 36.24 प्रतिशत वोट प्राप्त किए।
यह जीत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। 2010 में, चार विधानसभा क्षेत्रों से कुल पांच महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में थीं।
2015 में, छह महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, और 2020 में नबीनगर से दो और औरंगाबाद से एक महिला प्रत्याशी ने चुनाव में भाग लिया।
बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है
वर्ष विस क्षेत्र प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
1957
नबीनगर
शांति देवी
निर्दलीय
2965
1977
नबीनगर
अवंतिका शास्त्री
निर्दलीय
1478
1977
रफीगंज
राधा रानी सिंह
निर्दलीय
1303
1980
औरंगाबाद
राधा रानी सिंह
बीजेपी
820
1980
रफीगंज
राधा रानी सिंह
बीजेपी
181
1985
देव
चंपा देवी
निर्दलीय
582
1985
ओबरा
कुसुम देवी
कांग्रेस
13395
1990
नबीनगर
विशेश्वरी देवी
निर्दलीय
48
1990
औरंगाबाद
उषा कुमारी
आईपीएफ
8859
1995
देव
सुमित्रा देवी
बीजेपी
3934
1995
देव
फुलवा देवी
निर्दलीय
120
1995
रफीगंज
लीला सिंह
बीपीपी
1708
1995
ओबरा
कुसुम कुमारी यादव
कांग्रेस
2645
1995
ओबरा
सावित्री देवी
निर्दलीय
157
2005
देव
रेणु देवी
जदयू
32417
2005
देव
कुसुम देवी
लोजपा
11113
2005
गोह
उर्मिला देवी
सीपीआईएमएल
2878
2010
नबीनगर
अर्चना चंद्र
बीएसपी
11850
2010
गोह
निर्मला देवी
एनसीपी
777
2010
गोह
कुमारी अनुपम सिंह
जेएमबीपी
1508
2010
कुटुंबा
मनोरमा देवी
बीएसपी
3535
2010
रफीगंज
माधवी सिंह
कांग्रेस
6273
2015
गोह
रीता देवी
निर्दलीय
956
2015
ओबरा
नीलम कुमारी
एसपी
1798
2015
ओबरा
रिचा सिंह
निर्दलीय
1868
2015
नबीनगर
श्वेता देवी
एएचएफबीके
569
2015
नबीनगर
मंजू देवी
बीएसपी
17106
2015
रफीगंज
उषा देवी
एसएसडी
1260
2020
नबीनगर
मालती देवी
एसपीएल
556
2020
नबीनगर
संजू देवी
निर्दलीय
1589
2020
औरंगाबाद
अर्चना देवी
पीएमएस
1614
इन वर्षों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं
वर्ष 1951-52 में हुए प्रथम चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी। ऐसी ही स्थिति वर्ष 1962, 1967, 1969 और 1972 के लगातार चार चुनाव में एक भी महिला किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी।
इसके अलावा, वर्ष 2000 में हुए चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतरीं। |