cy520520 • 2025-12-8 22:09:30 • views 878
बिहार के मंत्री संजय सिंह टाइगर और श्रेयसी सिंह के साथ झरिया की भाजपा विधायक रागिनी सिंह।
डिजिटल डेस्क, धनबाद। झरिया की विधायक रागिनी सिंह इन दिनों सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र की राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने पति पूर्व विधायक संजीव सिंह के साथ मिलकर अपने ससुर स्व. सूरजदेव सिंह के जमाने की राजनीतिक विरासत को नए सिरे से जोड़ने, सहेजने और मजबूत करने में भी सक्रिय दिख रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राजनीतिक हलकों में भाजपा विधायक रागिनी सिंह की हाल की गतिविधियों को इन्हीं प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। खासकर बिहार में बढ़ती उनकी हलचल को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
हाल ही में रागिनी सिंह ने बिहार की जमुई से भाजपा विधायक और नीतिश कैबिनेट में मंत्री बनीं श्रेयसी सिंह से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। तस्वीरों में जिस सहजता और अपनत्व का भाव दिखाई दिया, उसे राजनीतिक पर्यवेक्षक \“बहनापा\“ के रूप में देख रहे हैं।
यह संबंध नया नहीं, बल्कि दो राजनीतिक घरानों के पुराने रिश्तों की निरंतरता है। श्रेयसी सिंह के पिता, स्व. दिग्विजय सिंह, केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे और उनका झरिया के चर्चित पूर्व विधायक सूरजदेव सिंह-जो रागिनी सिंह के ससुर थे-से पुराना राजनीतिक संपर्क और आत्मीय संबंध रहा है। अब रागिनी सिंह इन पुराने रिश्तों को फिर से जोड़कर अपनी राजनीतिक जमीन को और व्यापक बनाने की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही हैं।
सिर्फ श्रेयसी सिंह ही नहीं, रागिनी सिंह ने पटना में बिहार सरकार के मंत्री और आरा से भाजपा विधायक संजय सिंह टाइगर से भी मुलाकात की। रागिनी सिंह का राजनीतिक परिवार पहले से ही बिहार की राजनीति से जुड़ा रहा है। उनके ससुर सूरजदेव सिंह ने 1991 में आरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।
लगातार बिहार के प्रभावशाली भाजपा नेताओं से हो रही ये मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि रागिनी अपने पति, पूर्व विधायक संजीव सिंह के साथ मिलकर झरिया और धनबाद की राजनीति के दायरे से आगे बढ़कर क्षेत्रीय-यहां तक कि अंतर-राज्यीय-राजनीतिक समन्वय को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही हैं।
इसके अलावा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान भी रागिनी सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। नवीनगर विधानसभा क्षेत्र में आनंद मोहन सिंह के बेटे चेतन आनंद के लिए उन्होंने प्रचार किया था। उस समय भी उनके इस राजनीतिक सक्रियता ने लोगों का ध्यान खींचा था। आज जब झारखंड और बिहार की राजनीति लगातार एक-दूसरे से प्रभावित हो रही है, ऐसे में रागिनी सिंह की कदमताल को एक नई राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
झरिया में मजबूत जनाधार, धनबाद में लगातार बढ़ती पैठ और बिहार के नेताओं के साथ बढ़ते रिश्ते-ये सभी संकेत देते हैं कि रागिनी सिंह भविष्य में सिंह मैंशन ( जिस मकान में सूरजदेव देव सिंह ने बनवाया था) के राजनीतिक दायरे को और विस्तारित करने की तैयारी में हैं। साथ ही, संजीव सिंह का प्रभाव और उनका संगठनात्मक नेटवर्क भी इस बढ़ती सक्रियता का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रागिनी सिंह की वर्तमान भूमिका केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सोच-समझकर बनाई गई राजनीतिक यात्रा है, जो आने वाले वर्षों में धनबाद कोयलांचल के साथ ही झारखंड-बिहार की राजनीति में प्रभावी बनाएगी। पुराने रिश्तों का पुनर्संयोजन, नए संपर्कों का विस्तार और अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश-रागिनी सिंह इन तीनों मोर्चों पर एक साथ काम करती दिख रही हैं।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि झरिया की विधायक अब केवल स्थानीय नेता की भूमिका से आगे बढ़कर एक व्यापक राजनीतिक पहचान गढ़ने की दिशा में सक्रिय हैं। |
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