Lord Shiv: भगवान शिव के अवतार की पूजा का महत्व।  
 
  
 
  
 
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 10 Avtar Of Lord Shiva: भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। सनातन धर्म में भोलेनाथ की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। वह केवल संहारक नहीं हैं, बल्कि उनके अलग-अलग रूप जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाते हैं। यहां उनके 10 अवतारों और उनकी महिमा के बारे में बताया गया है, तो चलिए जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
भगवान शिव के 10 अवतार  
 
    
 
  
पशुपतिनाथ (Pashupatinath)  
 
पशुपतिनाथ का अर्थ है \“समस्त प्राणियों के स्वामी\“। यह शिव जी का सबसे दयालु और करुणामयी रूप है। यह अवतार सभी जीवों, पशुओं और मनुष्यों का रक्षक है। ऐसा कहते हैं कि इनकी पूजा से भक्तों को मोक्ष और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।  
नटराज (Nataraja)  
 
नटराज शिव का तांडव नर्तक रूप है। यह भोलेनाथ की आनंदित अवस्था है। यह ब्रह्मांड में सृष्टि, पालन और संहार के चक्र को दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रूप की पूजा करने से भक्तों के दिव्य ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।  
 
  
अर्धनारीश्वर (Ardhanarishvara)  
 
अर्धनारीश्वर शिव-शक्ति का संयुक्त रूप है, जिसमें आधा शरीर पुरुष (शिव) और आधा शरीर स्त्री (पार्वती) का है। शिव जी का यह रूप स्त्री-पुरुष की एकता का प्रतीक है। साथ ही संसार की संतुलित ऊर्जा को भी दिखाता है। मान्यता है कि भोलेनाथ ने यह रूप ब्रह्मा जी के सामने धारण किया था। इस स्वरूप की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।  
 
  
 
    
महाकाल (Mahakal)  
 
महाकाल शिव जी का समय से परे और परम विनाशक रूप है। \“महाकाल\“ का अर्थ है \“महान समय\“। भगवान शंकर का यह रूप दर्शाता है कि शिव ही अंतिम सत्य हैं। भोलेनाथ के इस स्वरूप की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।  
भैरव (Bhairava)  
 
भैरव शिव जी का सबसे उग्र स्वरूप है। ऐसा कहते हैं कि वह भक्तों को सभी नकारात्मक शक्तियों, भय और शत्रुओं से बचाते हैं। भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है।  
 
  
दक्षिणामूर्ति (Dakshinamurti)  
 
यह शिव का आदि गुरु स्वरूप है। भक्त दक्षिणामूर्ति शिव को गुरु मानकर पूजते हैं। इस रूप में शिव शांत मुद्रा में विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि शिव जी के इस रूप की पूजा से ज्ञान, बुद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।  
 
    
वीरभद्र (Virabhadra)  
 
वीरभद्र की उत्पत्ति दक्ष यज्ञ के विध्वंस के समय शिव के भयानक क्रोध से हुई थी। यह शिव जी का पराक्रमी रूप है, जो धर्म की रक्षा और अन्याय के विनाश के लिए भगवान शिव की जटाओं से प्रकट हुआ था। वीरभद्र को शिव जी का प्रथम गण भी माना जाता है।  
 
  
अघोरा (Aghora)  
 
अघोरा भगवान शिव का निर्भीक और रहस्यमयी रूप है। अघोरा शब्द का अर्थ है भय से परे। भोले बाबा की इस रूप की उपासना करने से भय पर विजय मिलती है। यह जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है।  
 
    
रूद्र (Rudra)  
 
रूद्र शिव जी का भयानक और संहारक रूप है। रुद्र का अर्थ भयानक और दुख हरने वाला, जो संहार से जुड़ा है। महादेव का यह रूप भक्तों के लिए बहुत फलदायी है, जिनकी उपासना से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।  
 
  
काल भैरव (Kaal Bhairava)  
 
काल भैरव, भोलेनाथ का सबसे शक्तिशाली और उग्र रूप है, जिन्हें समय का नियंत्रक माना जाता है। काल भैरव कर्मों के अनुसार दंड देते हैं। इनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा और सभी तरह के भयों से मुक्ति मिलती है। इन्हें समय और मृत्यु का स्वामी भी माना जाता है।  
 
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