चिड़ियाघर में पत्तियां खाते हुए हाथी। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। इन दिनों दिल्लीवासी वन्य जीवों पर भी खुलकर प्यार लुटा रहे हैं। दिल्ली के बाशिंदे, निजी संस्थान और शैक्षिक संस्थानों राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) के वन्य जीवों को गोद लेने की मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और सालाना लाखों रुपये खर्च भी कर रहे है। यह लोग भावनात्मक लगाव के साथ वन्य जीव संरक्षण के में भी अपना योगदान दे रहे है।
दिल्ली चिड़ियाघर के प्रबंधन के अनुसार पिछले तीन वर्षों में करीब 70 लोगों ने तेंदुए, हाथी, बारहसिंघा, दरियाई घोड़े और सांप जैसे जीवों को गोद लिया है। लोग वन्य जीवों के भोजन का खर्च सालाना खर्च छह लाख से लेकर 12 लाख रुपये तक वहन कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दो उल्लू और स्केली-ब्रेस्टेड मुनिया को लिया गोद
वन्य जीव प्रेमियों में मीनाक्षी सिंह जैसी शख्सियतें भी हैं, जो पिछले तीन साल से दो उल्लू और स्केली-ब्रेस्टेड मुनिया को गोद ले रही हैं। जिसका सालाना खर्च 12 हजार रुपये है। मीनाक्षी सिंह हर साल एक नया पशु गोद लेकर उसे अपने परिवार के सदस्य को उपहार स्वरूप देती हैं, जो संरक्षण में एक अनूठा योगदान है।
इस मुहिम को तब और बल मिला जब इंडियन आयल कार्पोरेशन ने वर्ष 2023 में एक मिसाल कायम की। संस्था ने अंजुहा और माहेश्वरी नाम के दो गैंडों को एक वर्ष के लिए 12 लाख रुपये के भारी- भरकम वार्षिक शुल्क पर गोद लिया। दूसरी ओर 42 वर्षीय वकील राहुल मनचंदना ने मात्र 700 रुपये में एक जेबरा फिंच को गोद लिया।
96 प्रजातियां उपलब्ध
चिड़ियाघर प्रबंधक संजीत कुमार के अनुसार \“\“वन्य जीवों को गोद लेने की अनुमति\“\“ योजना के तहत चिड़ियाघर में एक वर्ष की अवधि के लिए गोद लेने हेतु 96 प्रजातियां उपलब्ध हैं। गोद लेने वाले व्यक्ति को चिड़ियाघर से एक सदस्यता आइडी दी जाती है। जिसके तहत एक वयस्क और 12 वर्ष से कम उम्र के दो बच्चों को निशुल्क चिड़ियाघर आने की अनुमति मिलती है।
भारतीय बाइसन (गौर), जिसका सालाना भोजन खर्च करीब ढाई लाख रुपये है। इसके अलावा तेंदुआ, खरगोश, हिरण, मैकाओ, काला हंस और मगरमच्छ जैसी प्रजातियों को भी लोगों ने गोद लिया है। |