हाथी के बच्चे को झुण्ड में शामिल करने के लिए बनाई गई टीम में शामिल चिकित्सक,अधिकारी और कर्मचारी। ● जागरण
संवाद सूत्र, बड़बिल। ओडिशा के क्योंझर जिले में हाथी के छह माह के बच्चे को उसके झुंड से पुनः मिलाने के लिए वन विभाग का रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है। ड्रोन की मदद, विशेषज्ञ टीमों की तैनाती और हाई-टेक उपकरणों के इस्तेमाल के बावजूद अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। रविवार को जिला वन अधिकारी (डीएफओ) धनराज एचडी. ने प्रेस वार्ता कर इस अभियान की पूरी जानकारी साझा की। डीएफओ ने बताया कि बीते सोमवार को बीजेपी रेंज के सुकदला गांव के पास स्थित सुकदला पहाड़ी की चोटी पर एक गड्ढे में हाथी का बच्चा मिला। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने गड्ढे को चौड़ा किया ताकि बच्चा स्वयं बाहर आ सके। कुछ ही देर में बच्चा सुरक्षित बाहर आ गया। इसी दौरान वहां से गुजर रहे हाथियों के एक झुंड के साथ वह आगे बढ़ गया।
दो दिन की खोज बेअसर, फिर मिला अकेला बच्चा बच्चे के झुंड से अलग होने की आशंका के बाद वन विभाग की टीम दो दिनों तक उसकी तलाश में जुटी रही। लगातार गश्ती अभियान चलाया गया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। शुक्रवार को पेट्रोलिंग टीम को सुकदला जंगल में हाथी के बच्चे के होने की जानकारी मिली। तुरंत भारतीय वन्यजीव संस्थान की पशु चिकित्सा टीम, रेंज अधिकारी और सहायक वन संरक्षक सुदीप्ता पंडा मौके पर पहुंचे और बच्चे को सुरक्षित अपने संरक्षण में लिया।
विशेषज्ञों के अनुसार बच्चा कमजोर था और थकान से चलने में सक्षम नहीं था। टीम ने उसे दूध, गुनगुना पानी और चिकित्सीय सलाह के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया, जिससे उसकी स्थिति में सुधार हुआ।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पहली कोशिश: 12 किमी दूर मिला झुंड, पर बच्चा पहुंच नहीं पाया वन विभाग ने बच्चे को उसके झुंड से मिलाने की पहली कोशिश शुक्रवार रात से शुरू की। टीम बच्चे को उसी दिशा में ले गई जहां झुंड के मौजूद होने की सूचना थी। लगभग 4 किमी चलने के बाद बच्चा थककर रुक गया और आगे बढ़ने में असमर्थ था। उसकी देखभाल व प्राथमिक उपचार के बाद टीम ने योजना को पुनः तैयार किया।
शनिवार शाम वन विभाग, डब्ल्यूटीआई (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया) और विशेष रैपिड रिस्पॉन्स टीम मिलकर एक संयुक्त दल बनाया गया ताकि बच्चे को सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से झुंड तक पहुंचाया जा सके।
ड्रोन की मदद से खोज, लेकिन झुंड बिखरा मिला
नंदनकानन के विशेषज्ञों की सलाह पर बच्चे को विशेष डिजाइन किए गए एनिमल ट्रांसपोर्ट व्हीकल में बिना किसी शारीरिक स्पर्श के झुंड के क्षेत्र में ले जाया गया। इस दौरान ड्रोन की मदद से झुंड का सटीक लोकेशन पता करने का प्रयास किया गया।
हालांकि ड्रोन सर्वे में पता चला कि हाथियों का झुंड बिखर गया है और बड़े क्षेत्र में फैल गया है। ऐसे में बच्चे को उसकी सही मातृ-समूह तक पहुंचाने में कठिनाई बढ़ गई। इस वजह से बच्चे को झुंड से मिलाने की पहली कोशिश नाकाम रही।
रविवार देर शाम शुरू हुआ दूसरा प्रयास
वन विभाग ने बताया कि बच्चा लगभग छह माह का है और उसकी देखभाल के लिए खास भोजन-पानी योजना बनाई गई है। विशेषज्ञों के अनुसार इस उम्र में बच्चे को जल्द से जल्द अपनी मां और झुंड से मिलाना बेहद जरूरी है ताकि उसका प्राकृतिक विकास बाधित न हो।
डीएफओ धनराज ने बताया कि रविवार देर शाम टीम ने बच्चे को झुंड से मिलाने के लिए दूसरा प्रयास शुरू कर दिया है। जंगल में कई स्थानों पर ड्रोन सर्वे, थर्मल डिटेक्शन और टीमों की तैनाती की गई है।
वन विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही यह मासूम हाथी का बच्चा अपने परिवार से मिल पाएगा। वर्तमान में बच्चे की लगातार देखभाल की जा रही है और उसे सुरक्षित रखा गया है। |