प्रवीर रंजन बने सीआईएसएफ के 32वें महानिदेशक, पारदर्शिता और नवाचार पर फोकस   
 
 
- देश की सुरक्षा को नई दिशा देंगे प्रवीर रंजन: विशेषज्ञों की राय
 
  नई दिल्ली। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को नया नेतृत्व मिल गया है। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रवीर रंजन ने मंगलवार को औपचारिक रूप से सीआईएसएफ के 32वें महानिदेशक का कार्यभार संभाला। सीआईएसएफ मुख्यालय में आयोजित गरिमामय समारोह में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने बल के वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद किया।     
 
 
 
 
1993 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी प्रवीर रंजन अप्रैल 2024 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। अब तक वे सीआईएसएफ में विशेष महानिदेशक (एयरपोर्ट सुरक्षा) के रूप में कार्यरत थे और देशभर के संवेदनशील हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था का नेतृत्व कर रहे थे। 32 वर्षों के अपने करियर में रंजन ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं।   
दिल्ली पुलिस में स्पेशल पुलिस आयुक्त (क्राइम व ईओडब्ल्यू), सीबीआई में डीआईजी और चंडीगढ़ में पुलिस महानिदेशक (2022-24) के रूप में वे अपनी कार्यकुशलता साबित कर चुके हैं। सीआईएसएफ में पदभार ग्रहण करने से पहले वे एडीजी के पद पर भी रहे। शैक्षणिक दृष्टि से भी वे बेहद योग्य हैं।   
 
 
 
 
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक, उस्मानिया विश्वविद्यालय से पुलिस प्रबंधन में मास्टर, सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी एवं हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर तथा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से एलएलएम की उपाधि प्राप्त की है। उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें 2009 में राष्ट्रपति पुलिस पदक (मेधावी सेवा) तथा 2016 में राष्ट्रपति पुलिस पदक (विशिष्ट सेवा) से सम्मानित किया गया था।   
 
 
 
 
पदभार संभालने के बाद अपने प्रथम संबोधन में प्रवीर रंजन ने बल को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ को आधुनिकीकरण, कल्याणकारी दृष्टिकोण और पारदर्शी प्रशासन के सहारे और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।   
उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों को प्राथमिकता से लागू करने का आश्वासन भी दिया। सुरक्षा और पुलिसिंग के क्षेत्र में उनके अनुभव और शैक्षणिक गहराई को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवीर रंजन के नेतृत्व में सीआईएसएफ देश की महत्वपूर्ण स्थापनाओं की सुरक्षा को नई दिशा और मजबूती देगा। उनके कार्यकाल में बल से अपेक्षा है कि वह भविष्य की चुनौतियों से निपटने, राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति करने और नए मील के पत्थर स्थापित करने में सक्षम होंगे। 
 
  
 
 
  
Deshbandhu  
 
 
 
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