देश के 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चल रहा है। वोटर लिस्ट को फिल्टर करने का ये सारा काम बूथ लेवल ऑफिसर यानी BLO और असिस्टेंट बूथ लेवल ऑफिसर के कंधों पर है। ये BLO कोई और नहीं बल्कि सरकारी स्कूल के टीचर, लेखपाल और दूसरे कर्मचारी ही होते हैं। SIR की ये प्रक्रिया ऐसे ही कई BLO के लिए जानलेवा साबित हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 बीएलओ की मौत हो गई है। इन 12 राज्यों में 51 करोड़ से ज्यादा वोटर हैं और उनका वैरिफिकेशन करने के लिए करीब 5.32 लाख से ज्यादा BLO तैनात किए गए हैं, जो घर-घर जाकर हर वोटर को फॉर्म देंगे, उसे भरने में मदद करेंगे और फिर वही फॉर्म उनसे लेकर उसे पोर्टल पर अपडेट करेंगे।
आरोप लग रहे हैं कि SIR प्रक्रिया के दौरान इन BLO पर काम का बहुत ज्यादा दबाव है, जिसके चलते कुछ की अचानक मौत हो गई, तो किसी ने दबाव में आकर ही जान दे दी। सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ये BLO कौन होते हैं?
बीएलओ यानी बूथ लेवल अधिकारी, जो चुनाव आयोग का सबसे निचले स्तर पर प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी भूमिका बेहद अहम होती है। ये अपने क्षेत्र के हर मतदाता से जुड़ी जानकारी जुटाते, वोटर लिस्ट को अपडेट करते और मतदान केंद्रों से जुड़े सभी मूलभूत कार्यों को संभालते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो BLO वह व्यक्ति है, जो मैदान में जाकर चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से चलाने में सबसे अहम कड़ी बनता है।
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किस राज्य में कितने BLO की मौत?
राज्यवर आंकड़े देखें, तो मध्य प्रदेश में SIR के दौरान सबसे ज्यादा 9 BLO की जान चली गई, जबकि उत्तर प्रदेश और गुजरात में 4-4 BLO की जान जा चुकी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में तीन BLO की मौत हुई है। हालांकि, राज्य की सत्ताधारी पार्टी TMC का दावा है कि SIR के चलते राज्य में 34 लोगों ने जान दी। लेकिन इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई।
शादी के लिए नहीं मिली छुट्टी, कर ली आत्महत्या!
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में 25 साल के लेखपाल सधीर कुमार कोरी ने मंगलवार को ठीक अपनी शादी से एक दिन पहले खुदकुशी कर ली। शादी की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं और बारात 26 नवंबर को जानी थी। परिवार के मुताबिक, सुधीर ने कई बार छुट्टी मांगी लेकिन राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी (कानूनगो) ने अनुमति नहीं दी।कानूनगो ने उसे निलंबन की धमकी दी और सोमवार को सस्पेंड भी कर दिया।
सुधीर खजुहा ब्लॉक के सुलतानगढ़ में लेखपाल के पद पर तैनात थे, 2 साल से इस सेवा में थे। हाल ही में उन्हें चुनाव आयोग के SIR अभियान के तहत जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। परिवार का कहना है कि काम का दबाव और छुट्टियों के इनकार की वजह से उसने यह कदम उठाया।
जिला प्रशासन ने कहा है कि पूरी घटना की जांच जारी है और परिवार और अधिकारियों से बयान लिए जा रहे हैं। जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
गोंडा में BLO ने जहर खाकर दी जान
गोंडा में तैनात एक BLO की मंगलवार सुबह कथित तौर पर जहर खाने से मौत हो गई। घटना सुबह करीब साढ़े सात बजे हुई, जब विपिन यादव नाम के अधिकारी की अचानक तबीयत बिगड़ गई।
स्थानीय डॉक्टर सही इलाज नहीं कर पाया, जिसके बाद यादव के परिवार वाले उन्हें बढ़िया इलाज के लिए लखनऊ ले गए। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस घटना से स्थानीय शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है, जहां यादव बेसिक शिक्षा विभाग में BLO के पद पर कार्यरत थे। अधिकारियों ने अभी तक उन परिस्थितियों के बारे में और जानकारी नहीं दी है, जिनके कारण उन्होंने जहरीला पदार्थ खाया।
हालांकि, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उनसे एक महिला पूछती दिख रही है कि जहर क्यों खाया। मरने से पहले BLO को कहते हुए सुना जा सकता है- “दबाव के कारण, SDM, BDO और लेखपाल का दबाव था।“
OBC वोटर के नाम काटने का दबाव!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पिता सुरेश यादव ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मरने से ठीक पहले विपिन ने फोन पर बताया था कि SDM और BDO उस पर वोटर लिस्ट से OBC वोटर के नाम हटाने और सामान्य वर्ग के नाम बढ़ाने का दबाव डाल रहे थे।
सुरेश यादव के मुताबिक, जब विपिन ने ऐसा करने से इंकार किया तो उसे निलंबन और गिरफ्तारी जैसी सख्त कार्रवाइयों की धमकी दी गई।
विपिन की पत्नी सीमा ने भी इन दावों की पुष्टि करते हुए कहा कि अधिकारी आधार कार्ड न देने वालों के नाम भी जबरन जोड़ने को कहते थे। उनके अनुसार, “विपिन कई दिनों से भारी तनाव में थे और लगातार दबाव झेल रहे थे।”
अचानक गिर पड़े और हो गई मौत!
बरेली में 26 नवंबर को बीएलओ 47 साल के सर्वेश गंगवार अचानक गिर पड़े और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। परिवार सदमे में है, और अब मौत के पीछे प्रशासनिक दबाव का आरोप भी सामने आया है।
सर्वेश के भाई योगेश का कहना है, “SIR का लगातार दबाव था। देर रात तक काम कराया जाता था। भाई मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद थक चुके थे।”
\“अब और नहीं कर पाऊंगी\“ BLO ने दिया इस्तीफा
इस हफ्ते ही उत्तर प्रदेश के नोएडा से आए एक पत्र में BLO ने अपने ऊपर दबाव का जिक्र किया। पिंकी सिंह ने यह शिकायत करते हुए इस्तीफा दे दिया कि सरकारी स्कूल में शिक्षिका के रूप में अपनी नौकरी बचाए रखना उनके लिए असंभव है, जबकि उन्हें 10 किलोमीटर दूर एक कॉलोनी में 1,179 मतदाताओं के वैरिफिकेशन के लिए भी जाना पड़ता है। उन्होंने लिखा, “मैं इस्तीफा दे रही हूं... अब और नहीं कर पाऊंगी। मैं न तो पढ़ा सकती हूं और न ही BLO का काम कर सकती हूं।“
इससे 24 घंटे पहले बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक बीएलओ को तनाव के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कमल नस्कर ने बताया कि उन्हें जो वोटर लिस्ट मिली, उसके पहले चरण के काम को पूरा करने के लिए घर-घर जाकर काम किया था, और भरे हुए फॉर्म वापस लेने के लिए उन्हें दो हफ्त से भी कम समय दिया गया था।
इससे दो दिन पहले बंगाल के नादिया जिले की एक BLO ने भी आत्महत्या कर ली थी। रिंकू तरफदार अपने घर में मृत पाई गई थीं और उनके परिवार ने इसके लिए SIR को लेकर काम के तनाव को जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे ही बंगाल में कम से कम दो और मौतों की भी खबर है।
केरल में भी BLO की मौत की खबरें आई हैं - अनीश जॉर्ज की आत्महत्या से मौत हो गई। राजस्थान में वरिष्ठ चुनाव अधिकारियों की तरफ से कथित तौर पर दबाव डालने के बाद हरिओम बैरवा की मौत हो गई और गुजरात में \“SIR प्रक्रिया के दौरान बहुत ज्यादा और असहनीय वर्क लोड\“ से जूझने के बाद चार स्कूल शिक्षकों की मौत हो गई।
BLO का विरोध प्रदर्शन
केरल और बंगाल में हुई मौतों के बाद BLO और कर्मचारी संघों ने विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों से तनाव कम करने के लिए कार्रवाई करने की मांग की। इनमें से कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो गए।
इतना ही नहीं पिछले हफ्ते केरल के उत्तरी हिस्से में एक BLO ने वोटर लिस्ट फॉर्म भरते समय सार्वजनिक रूप से कपड़े उतारकर प्रदर्शन भी किया, जिसके लिए चुनाव आयोग ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
BLO के खिलाफ प्रशासन का एक्शन
इतने वर्क लोड के बावजूद कई जगहों पर प्रशासन ने BLO के खिलाफ FIR तक दर्ज करा दी, तो कहीं सस्पेंड भी कर दिया गया। गौतबुद्धनगर जिले के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 60 से ज्यादा बूथ लेवल अफसरों (BLO) और 7 सुपरवाइजरों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
ऐसे आरोप हैं कि उन्होंने अपनी ड्यूटी में लापरवाही दिखाई और अपने सीनियर अधिकारियों के ऑर्डर नहीं माने। यूपी बहराइच में भी तीन BLO को सस्पेंड कर दिया गया।
SIR और BLO की मौत पर राजनीतिक घमासान
SIR को लेकर बिहार चुनाव से पहले ही राजनीतिक घमासान मचा हुआ था, लेकिन अब BLO की मौत और आत्महत्या के मामलों ने इस आग में घी का काम कर दिया। सभी विपक्षी दलों और नेताओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग समेत केंद्र की सत्ताधारी BJP पर को भी घेरा।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि आयोग ने लगभग असंभव वोटर वैरिफिकेशन लक्ष्यों को पूरा कराने के लिए BLO पर बहुत ज्यादा दबाव डाल दिया है।
SIR सुधार नहीं, थोपा हुआ अत्याचार: राहुल गांधी
सोमवार को राहुल गांधी ने कहा, “SIR की आड़ में पूरे देश में अराजकता फैला दी गई है। नतीजा? तीन हफ्तों में 16 BLO अपनी जान गंवा चुके हैं- दिल का दौरा, तनाव, आत्महत्याएं… यह SIR कोई सुधार नहीं, बल्कि थोपा हुआ अत्याचार है।”
कांग्रेस नेता, जो लगातार भाजपा और चुनाव आयोग पर मिलीभगत कर मतदाता गड़बड़ी करने का आरोप लगाते रहे हैं, उन्होंने यह भी कहा कि BLO पर रोजाना एक तय न्यूनतम संख्या में मतदाताओं का वैरिफिकेशन पूरा करने का जो दबाव डाला जा रहा है, उसे राजनीतिक दलों के दबाव के कारण और बढ़ गया है।
SIR पर ममता vs BJP
ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग की आलोचना में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने मांग की है कि बीएलओ पर पड़ रहे “अमानवीय” कार्यभार के कारण SIR प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। उनका कहना है कि BLO “अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा काम करने को मजबूर” हैं, और आयोग उन पर दबाव बनाकर उन्हें डराने-धमकाने का काम कर रहा है।
एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कड़े शब्दों में लिखा, “और कितनी जिंदगियां जाएंगी? इस SIR के लिए और कितने लोगों को मरना पड़ेगा? हमें और कितनी लाशें देखनी होंगी? यह स्थिति अब सच में बेहद चिंताजनक हो चुकी है!”
इस बीच, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि वह बीएलओ को संसाधन उपलब्ध कराने में फेल रहने और उनकी मृत्यु का राजनीतिकरण करके SIR काम में रुकावट डाल रहा है। BJP IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि TMC के दबाव में फर्जी और संदिग्ध नाम जोड़े जा रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि अगर चुनाव आयोग कुछ बुनियादी समस्याओं पर ध्यान दे, तो बीएलओ का काम काफी आसान हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश में बीएलओ को ऐप पर कैप्चा भरना बड़ी परेशानी दे रहा था, लेकिन जैसे ही इसे हटाया गया, उनका काम तुरंत सरल हो गया।
रावत ने बताया कि एक साथ बड़ी संख्या में फॉर्म अपलोड करने पर सर्वर बार-बार क्रैश हो जाता है। इस समस्या को बीएलओ खुद रात के वक्त फॉर्म अपलोड करके किसी तरह संभाल रहे हैं, जबकि यह जिम्मेदारी सिस्टम की होनी चाहिए थी।
इसके अलावा, दिसंबर में स्कूलों का कोर्स पूरा कराने का दबाव भी शिक्षकों पर अलग से है। उनके शब्दों में, “डेडलाइन सिर पर है और बीएलओ अपने स्तर पर समाधान ढूंढ रहे हैं, जबकि असली समाधान तो सिस्टम को देना चाहिए था।”
चुनाव आयोग ने क्या कहा और क्या किया?
फिलहाल चुनाव आयोग जिला और राज्यों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट में आयोग के सूत्रों के हवाले से कहा गया कि अब तक किसी काम के दबाव से किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने इन मौतों पर चिंता जताई और कहा है कि बीएलओ को सौंपा गया वर्कलोड 1,000 वोटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि उसने इस शारीरिक और मानसिक रूप से थका देने वाले काम के लिए भत्ते को दोगुना कर 12,000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया है और SIR से जुड़ी इंसेंटिव राशि 2,000 रुपए कर दी है।
दरअसल BLO की यह मौत इसलिए और चिंता बढ़ा रही है, क्योंकि अगले साल से देशभर में जनगणना शुरू होने वाली है, और इस बहुत बड़े काम का सबसे बड़ा बोझ एक बार फिर सरकारी शिक्षकों पर ही पड़ने वाला है। |