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यूपी में बिजली कंपनियों का निजीकरण आरक्षण समाप्त करने की साजिश, सरकार से प्रस्ताव वापस लेने की मांग

LHC0088 2025-11-27 12:37:11 views 913

  



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पावर आफिसर एसोसिएशन ने बुधवार को संविधान दिवस पर बाबा साहेब डा. भीमराम अंबेडकर को याद किया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कंपनियों का निजीकरण आरक्षण समाप्त करने की बड़ी साजिश है, जो संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात है। निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पदाधिकारियों ने कहा कि आज से एक वर्ष पहले संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश में बिजली व्यवस्था के निजीकरण का निर्णय लिया गया था। एसोसिएशन तभी से इसका विरोध कर रहा है।

प्रदेश के मंत्रियों को पत्र देकर निजीकरण का प्रस्ताव रोकने की मांग उठाई। किसी ने कोई कोशिश नहीं की, जिससे सिद्ध होता है कि संवैधानिक व्यवस्था आरक्षण के खिलाफ षड़यंत्र चल रहा है।  

एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के साथ ही हरिश्चंद्र वर्मा, बिंदा प्रसाद, मुकेश बाबू, अजय कुमार आदि ने कहा कि बिजली निगमों में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। पदोन्नति नहीं देने के साथ ही झूठे आरोप लगाकर कई अभियंताओं को निलंबित किया गया।

निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन आज

इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2025 और यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में गुरुवार 27 नवंबर को देश भर में बिजली कर्मी सड़कों पर उतरेंगे। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर सभी राज्यों में बिजलीकर्मी और अभियंता विरोध प्रदर्शन करेंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया है कि प्रदेश में निजीकरण के विरोध में आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने पर गुरुवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।  

बताया है कि बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा तथा आल इंडिया ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर बिजली कर्मियों ने निजीकरण और मजदूर विरोधी श्रम कानूनों के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन किया।

लखनऊ में परिवर्तन चौक पर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लेने, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2025 वापस लेने, मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लेने के साथ ही किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की मांग की गई।
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