उत्तर प्रदेश की औद्योगिक दिशा तय करने में जुटी योगी सरकार
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। \“विकसित उत्तर प्रदेश-2047\“ के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार विशेषज्ञों की राय के आधार पर भविष्यगामी नीति निर्धारण का मार्ग प्रशस्त कर रही है। बुधवार को योगी सरकार द्वारा आयोजित “शेपिंग उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल फ्यूचर: स्ट्रेटेजीज फॉर विकसित भारत-2047” वर्कशॉप व कॉन्फ्रेंस में उद्योग, निवेश, एमएसएमई, खादी, अवस्थापना तथा नीति नियोजन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों ने राज्य की औद्योगिक प्रगति, संभावनाओं तथा भविष्य की जरूरतों पर विस्तृत विचार साझा किए। सम्मेलन में यह साझा दृष्टि उभरकर सामने आई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश तेजी से निवेशकों का भरोसेमंद गंतव्य बना है तथा अगले 25 वर्षों का औद्योगिक रोडमैप राज्य को देश की अग्रणी आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने का आधार तैयार कर रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निवेश आकर्षण, औद्योगिक भूमि और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर जोर
प्रदेश के राज्य परिवर्तन आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद के रूप में उभर रहा है। उन्होंने औद्योगिक भूमि आवंटन की बेहतर प्रक्रिया, निवेश परियोजनाओं की सतत निगरानी तथा कौशल विकास को \“विकसित यूपी-2047\“ का प्रमुख स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि नीति सुधारों, औद्योगिक पार्कों तथा नवाचार आधारित इकोसिस्टम ने विनिर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि को बढ़ावा दिया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधारों के कारण उद्यमिता और निवेश से संबंधित प्रक्रियाएं और सरल हुई हैं, जिससे प्रदेश की औद्योगिक क्षमता लगातार बढ़ रही है।
प्रदेश की वित्तीय स्थिति मजबूत, सुरक्षित निवेश का बना वातावरण
उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त दीपक कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसकी वित्तीय स्थिरता, बढ़ता पूंजीगत व्यय तथा युवा कार्यबल इसे निवेश के लिए अत्यधिक उपयुक्त राज्य बनाते हैं। उन्होंने कहा कि स्पष्ट नीतियों, अनुशासित प्रशासन और उद्योग-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के कारण उत्तर प्रदेश वैश्विक औद्योगिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
पूरी तरह समावेशी है विजन डॉक्यूमेंट
एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन तथा औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश-2047 का विजन डॉक्यूमेंट पूरी तरह समावेशी है। इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स की आकांक्षाओं को स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं सेवा क्षेत्र को अभी भी अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर्स से विजन डॉक्यूमेंट को धरातल पर उतारने के लिए सक्रिय सहयोग करने की अपील की और कहा कि वैश्विक ट्रेंड्स को देखते हुए सामूहिक प्रयास ही इसे वास्तविक उपलब्धियों में बदल सकते हैं।
12 प्रमुख सेक्टर्स में तेजी से आगे बढ़ रहा है कार्य
प्रमुख सचिव (नियोजन) आलोक कुमार ने विकसित भारत-2047 तथा विकसित उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रभावी और दूरदर्शी विजन साझा किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है, नागरिक उड्डयन अवसंरचना मजबूत हो रही है और एमएसएमई, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य सहित 12 प्रमुख क्षेत्रों में राज्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है।उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में विनिर्माण तथा अन्य संबंधी क्षेत्रों की केंद्रीय भूमिका रहेगी। इसके लिए राज्य में सुधारों, औद्योगिक पार्कों और नवाचार-आधारित इकोसिस्टम को विकसित किया जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश को भारत की विकास यात्रा का प्रमुख ग्रोथ इंजन बनाने में सहायक होंगे।
रेलवे व विमानन में विशाल संभावनाएं, बहुस्तरीय अवसंरचना लक्ष्य जरूरी
नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव राजीव ठाकुर ने रेलवे क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की अपार संभावनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रणनीतिक निवेश और सुनियोजित ढांचे के साथ यह क्षेत्र औद्योगिक विकास और व्यापार को नई दिशा दे सकता है। उन्होंने विमानन क्षेत्र को भी भविष्य के लिए अत्यधिक संभावनाओं वाला क्षेत्र बताते हुए कहा कि बढ़ते हवाईअड्डों का नेटवर्क निवेश, गतिशीलता तथा औद्योगिक गतिविधियों को नई गति देगा। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क, रेल, विमानन, लॉजिस्टिक्स तथा सार्वजनिक परिवहन में अल्पकालिक, मध्यमकालिक तथा दीर्घकालिक लक्ष्यों का निर्धारण प्रदेश के औद्योगिक भविष्य को सुदृढ़ करेगा।
खादी, हैंडलूम तथा टेक्सटाइल में उत्तर प्रदेश की स्थिति मजबूत
खादी एवं ग्रामोद्योग, वस्त्र और हथकरघा विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 536 खादी समितियां कार्यरत हैं, जो इस क्षेत्र की बढ़ती आर्थिक प्रासंगिकता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में महिला बुनकरों की सक्रियता इसे सामाजिक और आर्थिक रूप से समावेशी बनाती है। उत्तर प्रदेश दरी एवं कालीन उत्पादन में देश में अग्रणी है और कच्चे माल की बेहतर उपलब्धता के साथ खादी उत्पादन को और विस्तार दिया जा सकता है।
एफडीआई, विनिर्माण क्षमता और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मिली रफ्तार
नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक (उद्योग एवं विदेशी निवेश) इश्तियाक अहमद ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है, पर विकसित भारत-2047 के लक्ष्य के लिए विनिर्माण क्षेत्र में बड़ा विस्तार आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भारत में 55 प्रतिशत मोबाइल फोन उत्पादन उत्तर प्रदेश में हो रहा है और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि एफडीआई संबंधी चुनौतियां राष्ट्रीय स्तर पर सामने आने वाले मुद्दों से मेल खाती हैं, जिनके समाधान के लिए राज्य और केंद्र का समन्वित प्रयास जरूरी है।
\“ईज ऑफ डूइंग बिजनेस\“ को बढ़ाने में निवेश मित्र 3.0 है मददगार
इन्वेस्ट यूपी के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी शशांक चौधरी ने निवेश मित्र 3.0 को निवेशकों के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म बताया। उन्होंने कहा कि एआई आधारित गाइडेंस, अपडेटेड बिल्डिंग और विकास उपविधियां तथा निवेश सेवाओं का एकीकृत ढांचा प्रदेश को भविष्य के औद्योगिक इकोसिस्टम की ओर ले जा रहा है। श्रम, भूमि उपयोग तथा आवश्यक अनुमतियों में सरलीकरण और पूरी तरह ऑनलाइन सेवाओं के लागू होने से उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में शीर्ष स्थान की ओर बढ़ रहा है। कार्यक्रम में चैंबर ऑफ कॉमर्स, एसोचैम (यूपी), लघु उद्योग भारती, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, उत्तर भारत वस्त्र अनुसंधान संघ, फिक्की तथा सीआईआई समेत कई दिग्गज संस्थानों के पैनलिस्टों ने भी अपने विचार रखे। |