इसी जगह पर डॉ. मुज्जिमल ने छिपा रखा था विस्फोटक। जागरण
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। दक्षिण हरियाणा का रिमोट एरिया यानी ग्रामीण अंचल आतंकी गतिविधियों का महफूज ठिकानों के रूप में सामने आ रहा है। फतेहपुर तगा गांव, जहां सफेदपोश आतंकी डाॅ. मुज्जमिल ने एक कमरा किराए पर लेकर 2563 किलो विस्फोटक पदार्थ कट्टों में भर कर रखा था, वह गांव जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जबकि उससे पहले धौज गांव में एक कमरा और किराए पर ले रखा था, जहां से पुलिस ने 360 किलो विस्फोटक, राइफल, पिस्टल सहित आतंकी गतिविधियों से संबंधित अन्य सामग्री बरामद की है। फतेहपुर तगा में जहां कमरा किराए पर लिया गया था, वहां की सड़क जर्जर थी, नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा था और अंदर खेत में मकान बना हुआ था।
यहां अवैध रूप से एक काॅलोनी काटी हुई है। पुलिस इस एरिया में शायद ही कभी आई होगी। पुलिस की नजरों से दूर डाॅ. मुज्जमिल ने यहीं पर आराम से विस्फोटक छिपाया। इस से पहले इसी वर्ष मार्च माह में फरीदाबाद में ही पाली गांव मेंं बांस रोड पर एक खेत में बंद पड़े ट्यूबेवल के कोठरे से आतंकी अब्दुल रहमान को पकड़ा गया था।
अब्दुल के पास से दो हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए थे। यह क्षेत्र भी स्थानीय पुलिस की नजरों के इर्द-गिर्द भी नहीं था। गुजरात एटीएस व पलवल एसटीएफ ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर आतंकी को पकड़ा था।
हाल ही में पड़ोसी जिला पलवल के हथीन से भी दो पाकिस्तानी जासूसों को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था। इसमें आरोपी तौफीक जिले के आलीमेव गांव का रहने वाला था, जिस पर भारतीय सैन्य गतिविधियों से जुड़ी गोपनीय जानकारी पाकिस्तान उच्च आयोग को भेजने का आरोप लगा।
इसके बाद क्राइम ब्रांच ने 30 सितंबर को पाकिस्तान को खुफिया सूचनाएं देने के आरोप में यूट्यूबर वसीम अकरम को भी गिरफ्तार किया था। मई माह में पाकिस्तान के लिए जासूसी काम करने के आरोप में एनआईए ने नूंह के कांगरका गांव से तावड़ू के रहने वाले मोहम्मद तारीफ व नूंह के राजागांव के रहने वाले अरमान का गिरफ्तार किया था।
दोनों पर पाकिस्तान के लिए जासूसी के आराेप थे। हरियाणा प्रदेश के दक्षिण दिशा में अंतिम छोर पर बसे यह सब क्षेत्र दूर-दराज के गांव हैं। यह भी स्पष्ट है कि यह सब मुस्लिम बहुल गांव हैं।
और आतंकी इसलिए भी इन क्षेत्रों को चुन रहे हैं कि यहां के लोग ज्यादा पूछताछ नहीं करते कि कौन कहां से आ रहा है, क्या कर रहा है। थोड़े से पैसे के लालच में भी स्थानीय लोग आसानी से आ जाते हैं।
अब पुलिस प्रशासन और खुफिया तंत्र को सिर्फ शहरी इलाकों में यदा-कदा नाके लगा कर जांच अभियान की इतिश्री करने की बजाय नए सिरे से सोचने और अपनी कार्यशैली को बदलने पर ध्यान देना होगा।
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