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ऐसी पीएम आवास योजना का क्या फायदा? अधिकारियों की लापरवाही के चलते छह साल से चल रहा फ्लैट्स का इंतजार

deltin33 2025-10-3 13:06:22 views 1250

  लापरवाही की भेंट चढ़ी योजना से आवंटियों को नहीं मिली छत, अब जीडीए कराएगा काम। जागरण





शाहनवाज अली, गाजियाबाद। केंद्र सरकार की सबसे अहम प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में 856 निम्न आय वर्ग वालों के फ्लैट छह साल से तैयार हैं लेकिन अब तक उन्हें मिल नहीं सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विभागों की अन्यमनस्कता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जल निगम, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, विद्युत निगम को जो काम अब से छह साल पहले पूरे कर देने चाहिए थे, उनके लिए आज तक बजट तक तैयार नहीं किया है।



प्राधिकरण ने पीएम आवासीय योजना (शहरी) के तहत 11 जुलाई 2018 को मधुबन बापूधाम योजना में पहला प्रोजेक्ट आरंभ किया था। इसमें कुल 856 निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए भवन निर्माण होना था, जो वर्ष 2020 तक पूरा करना था।

इसके अलावा डासना में 11 मार्च 2019, प्रताप विहार योजना वर्ष 2022, नूरनगर का प्रोजेक्ट 20 दिसंबर 2019, निवाड़ी में योजना का यह प्रोजेक्ट 10 जून 2019 को आरंभ किया गया था। सभी दो वर्ष की समय-सीमा में पूरे होने थे।



इसके लिए प्राधिकरण ने वर्ष 2019 यानी छह वर्ष पूर्व ड्राॅ निकालते हुए भवन आवंटित कर दिए, लेकिन लाभार्थियों को फ्लैट पर कब्जा नहीं मिला। इसका मुख्य कारण प्रोजेक्ट के बाहरी विकास कार्यों को कराने के लिए कई बार आदेश-निर्देश दिए गए इसके बावजूद काम नहीं हुए।

इनमें बाहर से पानी के लिए पाइपलाइन जोड़ने से लेकर वाटरहेड टैंक बनाने की जिम्मेदारी जल निगम की थी। वहीं, एप्रोच रोड का निर्माण लोक निर्माण विभाग को करना था और ट्रंक ड्रेन नगर निगम को बनाने थे।



विद्युत निगम की जिम्मेदारी प्रोजेक्ट तक लाइन और विद्युत व्यवस्था करना थी। इन्होंने कार्य नहीं किए, जिसके चलते प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अटक गए और आवंटन के बावजूद गरीब छह वर्ष बावजूद आशियाने की बाट जोह रहे हैं।
बोर्ड बैठक में हुआ निर्णय जीडीए पूरा करेगा अधूरे काम

सभी विभागों की अकर्मण्यता के बाद अब जीडीए ने इस काम का जिम्मा लिया है। मई 2025 में हुई 169वीं बोर्ड बैठक में सभी प्रोजेक्ट में बाहरी विकास कार्य प्राधिकरण द्वारा कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।



जिस पर करीब 17.62 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जीडीए के अनुसार सभी विभाग जल निगम, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, विद्युत निगम और प्रशासन से इस बारे में छह साल में कम से कम दस बार पत्राचार किया गया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
विवाद में फंसी है योजना

योजना का पहला प्रोजेक्ट मधुबन बापूधाम विवादों में फंसा, जब पूर्व पार्षद की ओर से शिकायत दर्ज की गई कि योजना में कई संदिग्ध आवेदकों को वैध मानते हुए आवंटन किया गया है।



इसमें गाजियाबाद के अलावा गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर के लोग भी इसके पात्र बना दिए गए, जो नियम विरूद्ध है। कुछ आवदेकों की आमदनी 10 हजार से 24 हजार रुपये वार्षिक दिखाई गई है।

ऐसी शिकायतों को लेकर संबंधित आवंटियों के दस्तावेज जीडीए से लेकर सीबीआइ ने जांच शुरू की। इसकी जांच में जुटी सीबीआइ टीम ने कई अहम दस्तावेज भी प्राधिकरण से मांगे हैं।
पीएम आवासीय योजना में जीडीए के पांच प्रोजेक्ट

  • मधुबन बापूधाम योजना : 856
  • डासना - 432
  • प्रताप विहार - 1,200
  • नूरनगर - 480
  • निवाड़ी - 528
  • कुल - 3,496


नोट : योजना के तहत निम्न आय वर्ग के 2,805 भवन निजी विकासकर्ता भी तैयार कर रहे हैं।


योजना पर विभागों की ओर से कामों पर हुआ खर्च

  • मधुबन बापूधाम में जल निगम ने बाहरी जलापूर्ति पर खर्च किए : 1.86 करोड़
  • डासना में यूपी जल निगम ने सीवर व जलापूर्ति पर खर्च कि: 4.20 करोड़
  • प्रताप विहार में जल निगम ने जलापूर्ति पर खर्च किए: 2.43 करोड़
  • नूरनगर में जल निगम ने जलापूर्ति पर खर्च किए  : 1.29 करोड़
  • निवाड़ी में लोनिवि ने एप्रोच रोड पर खर्च कि : 67.69 लाख
  • निवाड़ी में जल निगम ने 400 एसटीपी, जलापूर्ति व ट्रंक ड्रेन पर खर्च किए : 7.13 करोड़


नोट: सभी योजनाओं में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को विद्युत लाइन के लिए 19.91 करोड़ रुपये खर्च करने थे।आ


पीएम आवास योजना का आरंभ और पूरा होने का समय
योजनाफ्लैटों की संख्याकाम की शुरुआतकाम पूरा होने का साल
मधुबन बापूधाम85620182020
डासना43220192021
प्रताप विहार120020222024
नूरनगर48020192021
निवाड़ी52820192021


प्रशासन और सभी विभागों को पीएम आवासीय योजना के लिए कई बार पत्राचार किया लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अब लोगों को घर में लिए ये प्राथमिकता सबसे पहले है। बोर्ड बैठक में बाह्य कार्यों के लिए भी मंजूरी हो चुकी है। इसी सप्ताह विभिन्न विभागों की ओर से रुके कार्यों के लिए जीडीए की ओर से टेंडर हो जाएंगे। इसके बाद जल्द ही कार्य आरंभ होकर आवंटियों को जल्द कब्जा दिया जाएगा।



- प्रदीप कुमार सिंह, अपर सचिव जीडीए


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