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Darbhanga News : 13 महीने बीत गए...फिर भी डीएमसीएच सुपर स्पेशियलिटी की व्यवस्था पटरी पर क्यों नहीं?

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डीएमसीएच स्थित सुपर स्पेशयलिटी भवन। जागरण  



संवाद सहयोगी, दरभंगा । डीएमसीएच परिसर में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 210 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन हुए 13 महीने हो गए। लेकिन व्यवस्था अब तक बेपटरी है।

उदघाटन के समय अस्पताल प्रशासन ने दावा किया था कि सुपर स्पेशियलिटी में इंडोर सेवाएं शुरू कर दी गई हैं, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। केवल प्रथम पाली में सुबह नौ से दोपहर दो बजे तक ओपीडी का संचालन हो रहा है। इंडोर की व्यवस्था अभी शुरू नहीं हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुपर स्पेशियलिटी की सेवाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में कुल छह विभाग का संचालन होना था। इनमें गैस्ट्रोलाजी, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोलाजी, नेफ्रोलाजी, न्यूरोलाजी और न्यूरो सर्जरी शामिल है। पांचवें तल पर अत्याधुनिक ओटी की व्यवस्था भी है।

यदि सुपर स्पेशियलिटी के विभाग सुचारू रूप से संचालित होते तो मरीजों को भारी राहत मिलती। वर्तमान स्थिति यह है कि अगर कोई गंभीर मरीज आता है तो सुविधाएं मौजूद न होने के कारण उसे रेफर कर दिया जाता है।

मंगलवार को पड़ताल के दौरान प्रथम तल पर गैस्ट्रोलाजी और दूसरे तल पर संचालित नेफ्रोलाजी विभाग का हाल भी संतोषजनक नहीं मिला। नेफ्रोलाजी विभागाध्यक्ष डा. अभिषेक कुमार मौजूद थे। उन्होंने बताया कि ओपीडी में रोज 25 से 30 मरीज आते हैं लेकिन 20 बेड के इंडोर व्यवस्था होने के बावजूद एक भी मरीज भर्ती नहीं हैं।

पूछने पर उन्होंने साफ कहा कि डाक्टर उपलब्ध नहीं हैं, स्टाफ की भी कमी है। तीसरे तल पर प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग में डा. मिराज अहमद मौजूद थे, लेकिन यहां भी इंडोर सेवा पूरी तरह बंद मिली। 20 बेड की व्यवस्था होने के बाद भी चिकित्सक और स्टाफ की अनुपलब्धता के चलते वार्ड खाली पड़े हैं। यही हाल लगभग सभी विभागों का है।

ग्राउंड फ्लोर पर रेडियोलाजी और अधीक्षक कार्यालय ही ऐसे विभाग हैं जहां काम सुचारू रूप से चल रहा है। बाकी भवन में ताला बंद है, जहां चुप्पी और मरीजों की निराशा देखने को मिलती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब डाक्टर ही नहीं हैं तो टेक्नीशियन और नर्सों को बैठाकर वेतन देने का क्या औचित्य है।

विभागों में आउटसोर्सिंग स्टाफ की पोस्टिंग हो चुकी है, कमरे तैयार हैं, बेड लगे हैं, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं। जनता राहत की उम्मीद लेकर आती है और मायूस लौटती है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को यह समझना चाहिए कि सुविधाओं के नाम पर खाली भवन और बेड नहीं, बल्कि कार्यरत डाक्टर और वास्तविक सेवाएं ही जनता के लिए सुपर स्पेशियलिटी साबित होती हैं।


डाक्टरों की कमी के कारण इंडोर सेवाएं प्रभावित हैं। यदि सुपर स्पेशियलिटी में कोई आपरेशन का मरीज आता है तो उसका आपरेशन न्यू सर्जिकल बिल्डिंग के ओटी में किया जाता है, क्योंकि एनेस्थीसिया में डाक्टर की कमी है। सुपर स्पेशियलिटी ओपीडी केवल प्रथम पाली सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक ही चलाया जा रहा है। सभी विभागों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से टेक्नीशियन, नर्स और चतुर्थ कर्मचारी की तैनाती कर दी गई है, लेकिन नेफ्रोलाजी और बर्न एंड प्लास्टिक विभाग में मात्र एक-एक डाक्टर ही उपलब्ध हैं। जल्द से जल्द सुपर स्पेशियलिटी को सुचारू ढंग से चलाने का प्रयास जारी है।
--डा. शीला कुमारी, अधीक्षक, डीएमसीएच।
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