दातागंज रोड पर स्थित गुरुकुल में सभा को संबोधित करते राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। स्रोत - पुस्तक
जागरण संवाददाता, बदायूं। देश को आजादी दिलाने में जिले के क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संगाम सेनानियों का भी अहम योगदान रहा है। खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी इसे मानते और स्वीकारते थे। वह आजादी के आंदोलन के दौरान दो बार बदायूं आए। जब वह पहली बार यहां 1921 मेंं आए तो यहां की महिलाओं ने आजादी के आंदोलन को तेज करने के लिए अपने जेवर और बचत किए हुए सारे पैसे गांधी जी को दे दिए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बताते हैं कि गांधी जी जिले में अंग्रेजों की खिलाफ आंदोलन के अगुवा और नेता रहे मौलाता अब्दुल माजिद बदायूंनी के जोशील भाषणों से काफी प्रभावित थे। उन्हीं के आग्रह पर महात्मा गांधी बदायूं आए। दूसरी बार बापू उझानी में वर्ष 1929 में रामलीला मैदान में आए थे।
आजादी के आंदोलन के दौरान दो बार बदायूं आए थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व सांसद बाबू रघुवीर सहाय की पुस्तक में बदायूं से जुड़ी स्वतंत्रता संग्राम के कई किस्से हैं। उसी पुस्तक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बदायूं आने का जिक्र है। स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास नाम इस पुस्तक के अनुसार एक मार्च 1921 को महात्मा गांधी पहली बार बदायूं आए थे। गांधी जी के बदायूं आने पर हिंदू मुस्लिम एकता और मजबूत हुई। साथ ही सभी धर्म व जातियों के लोग एकजुट होकर अंग्रेजों के विरोध में उठ खड़े हुए। गांधी जी जब ट्रेन से बदायूं रेलवे स्टेशन पहुंचे तो उत्साही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने उनका स्वागत करने के लिए ट्रेन के डिब्बे के पास कार लगा दी।
मौलाना अब्दुल माजिद बदायूंनी के जोशीले भाषणों से काफी प्रभावित थे गांधी
अंग्रेजी के खिलाफत के आंदोलन के नेता मौलाना अब्दुल माजिद बदायूंनी के आग्रह पर महात्मा गांधी जब बदायूं आए, तब मौलाना शौकत अली, डॉ. सैफुद्दीन किचलू, कस्तूरबा गांधी, खिलाफत कमेटी के प्रांतीय सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद हुसैन, मौलाना सलामुल्ला, फिरंगी महली, मोहम्मद निसार अहमद कानपुरी भी उनके साथ थे। महात्मा गांधी यहां कादरी मंजिल में ठहरे। यह उस समय की सबसे शानदार कोठियों में शुमार थी। उस दौरान गांधीजी ने पार्वती आर्य कन्या इंटर कॉलेज में महिलाओं की एक सभा की थी। जिसमें महिलाएं उनके भाष्णों से इतनी प्रभावित हुई थी कि उन्हें अपने जेवर उतारकर व अपनी बचत से संबंधित धन की थैलियां उन्हें भेंट दे दी थीं।kodarma-general,Durga Puja Koderma,Heavy Rain Koderma,Poor Road Construction,Drainage System Failure,Durga Puja Disruption,Business Losses Koderma,Koderma Weather,Monsoon impact,Festival Disappointment,Jharkhand news
बदायूं क्लब के सचिव अक्षेत अशेष की पुस्तक उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम बदायूं में उल्लेख है कि दूसरी बार महात्मा गांधी नौ नवंबर 1929 में बदायूं आए थे। उस समय 1930 में शुरू होने वाले दूसरे आंदोलन की तैयारियां चल रही थीं। वह उझानी पहुंचे और सीधे चौधरी तुलसी राम के खद्दर उत्पादन केंद्र पर पहुंचे थे। वह खद्दर उत्पादन देख काफी खुश हुए थे। वहां से निकलकर उन्होंने उझानी के रामलीला मैदान जनसभा की थी। इस सभास्थल पर भारी भीड़ जुटी थी। यहां गांधी जी ने लोगों से आह्वान किया था कि वह शांति से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध जताएं और उसे उखाड़ फेकें। अगले दिन उन्होंने शहर के बाहर स्थित गुरुकुल में भी क्रांतिकारियों की सभाकर संबोधित किया था।
गुलड़िया में नमक बनाकर क्रांतिकारियों ने तोड़ था नमक कानून
गांधी जी जब दूसरी बार जिले में आए थे, उसके बाद से ही नमक कानून तोड़ने के विरोध की शुरुआत हुई थी। शहर से करीब दस किमी दूर गुलड़िया क्षेत्र में पहली बार नमक बनाया गया। इस पर अंग्रेजी सरकार ने कर लगा दिया था। गुलड़िया के स्वतंत्रता सेनानी मुंशी हेतराम सिंह ने अन्य कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर वर्ष 1930 में गुलड़िया से शुरू हुए नमक तोड़ो आंदोलन को तेज किया गया।
वर्ष 1930 में महात्मा गांधी गुजरात के दांडी जाते समय क्रांतिकारियों से कहा था कि 13 अप्रैल तक पूरे देश में यह कानून भंग करना है। गुलड़िया के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर मुंशी हेतराम सिंह ने कानून तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। गुलड़िया के रणवीर सिंह के खेत मे स्वतंत्रता के क्रांतिकारियों ने इस ऐतिहासिक कार्य को अंजाम दिया।
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