लवकुश रामलीला में भेंट में मिले गदा की हाथ से उठाकर दर्शाती मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता व अन्य।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रावण को अपने बल पर इतना घमंड की कुंभकरण और मेघनाथ के वध के बाद भी नहीं चेता तथा राम को परास्त करने की ठानी। रामलीला में 10 वें दिन लालकिला मैदान में मंचित हो रही नव श्री धार्मिक लीला कमेटी में लीला का शुभारंभ राम-कुंभकर्ण युद्ध के मंचन से हुआ, जिसमें श्रीराम और रावण के भाई कुंभकर्ण के बीच का अद्भुत युद्ध दिखाया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कुंभकर्ण के पराक्रम और वीरता के बावजूद अंततः धर्म की विजय और अधर्म के पतन का संदेश इस प्रसंग से स्पष्ट हुआ। इसके बाद मेघनाद वध का मंचन हुआ। रावणपुत्र इंद्रजीत (मेघनाद) और लक्ष्मणजी के बीच हुए भीषण युद्ध का दृश्य अत्यंत रोमांचक रहा। लक्ष्मण द्वारा मेघनाद का वध होते ही संपूर्ण पंडाल जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।
इसके पश्चात सुलोचना संवाद का भावनात्मक मंचन प्रस्तुत किया गया, जिसमें मेघनाद की पत्नी सुलोचना द्वारा अपने पति के वध पर व्यक्त किए गए दुख और उसकी वीरता का स्मरण कराए जाने वाला प्रसंग उपस्थित जनसमूह की आंखों को नम कर गया।
लीला में अहिरावण वध का भी अद्भुत मंचन हुआ, जिसमें दिखाया गया कि कैसे हनुमानजी के साहस और पराक्रम से अहिरावण का वध हुआ और श्रीराम–लक्ष्मण की रक्षा हुई।
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अंत में रावण का मायावी स्वरूप प्रस्तुत किया गया। रावण के छल और कपटपूर्ण रूप ने दर्शकों को यह संदेश दिया कि असत्य चाहे कितनी भी चालाकी से क्यों न छुपाया जाए, अंततः उसका पतन निश्चित है। लीला के मंत्री प्रकाश बराठी ने बताया कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु व दर्शक उपस्थित रहे और पंडाल जयकारों से गूंज उठा।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किए प्रभु राम के दर्शन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लवकुश रामलीला के मंच पर प्रभु राम के साथ ही माता सीता, भाई भरत व भक्त हनुमान के दर्शन किए। लीला कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने गदा भेंट कर मुख्यमंत्री का स्वागत किया तो मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के संदेशों को अपने जीवन में उतारने पर जोर देते हुए कहा कि राम के जीवन मूल्यों को जन-जन तक में पहुंचाने में रामलीलाओं का बड़ा योगदान है।
बुधवार को लीला में अहिरावण का देवी साधना में लीन होना और ध्यान भंग, देवी से अमृता का वरदान, रावण अहिरावण संवाद, राम दल हनुमान जी मूर्छित, राम लक्ष्मण का हरण, रामदल द्वारा राम लक्ष्मण को खोजना, हनुमान जी को पाताल लोक भेजना, अहिरावण का महल, मकरध्वज हनुमान युद्ध, मकरध्वज को बांधकर महल में जाना, अहिरावण महल, अहिरावण द्वारा राम लक्ष्मण को भेंट के लिए लेकर आना और अपनी शक्ति को बुलाना समेत अन्य प्रसंगों का भावपूर्ण मंचन हुआ।
राम की खोज में जुटी उनकी सेना
लालकिला मैदान में श्री धार्मिक लीला कमेटी के मंचन पर रावण की कुंभकर्ण से भेंट, कुंभकर्ण द्वारा रावण को समझाने के बावजूद उसके नहीं मानने, कुंभकर्ण के भगवान राम से युद्ध करने के लिए जाने व भगवान राम के हाथों कुंभकर्ण के वध की लीला हुई।
कमेटी के महासचिव धीरजधर गुप्ता व प्रवक्ता रवि जैन ने बताया कि युद्ध में लक्ष्मण के हाथों मेघनाथ के वध, रावण के पाताल लोक में अहिरावण के पास जाने, अहिरावण के विभीषण का मायावी रूप धारण कर भगवान राम के शिविर में जाकर उन्हें मूर्छित कर पाताल लोक में ले आने, वहां उनकी कुलदेवी पर बलि देने का प्रयत्न करने समेत अन्य लीलाओं का खुबसूरती से मंचन हुआ।
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