सात साल में 1800 अभ्यर्थियों ने किया रजिस्ट्रेशन।
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत वर्ष 2018 में शुरू हुए शहरी आजीविका केंद्र का उद्देश्य शहरी गरीबों को कौशल प्रशिक्षण, रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ना था, मगर सात वर्षों में केंद्र का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अब तक 1800 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया, लेकिन नौकरी सिर्फ 82 लोगों को ही मिल सकी। यह स्थिति विभागीय लापरवाही और कमजोर सिस्टम की ओर इशारा करती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
योजना की शुरुआत में वर्ष 2020 तक डूडा ने अपने स्तर से केंद्र का संचालन किया, इसके बाद वर्ष 2021 में संचालन फर्रुखाबाद की जय हिंद जनसेवा कल्याण समिति को सौंपा गया। समिति पिछले चार साल से केंद्र चला रही है।
पंजीकरण के लिए 100 रुपए शुल्क लिया जाता है और इन्हीं अभ्यर्थियों में से विभागों की रिक्तियों के लिए चयन किया जाना चाहिए, लेकिन कई बार पुरानी तिथियों में पंजीकरण दिखाकर भर्ती किए जाने की शिकायतें सामने आती रहती हैं। इससे वास्तविक जरूरतमंदों का हक प्रभावित होता है।
कुशल कामगारों के लिए 13 हजार 500 रुपये और अकुशल के लिए 11 हजार 21 रुपये मानदेय तय है, लेकिन इन अवसरों तक पहुंच बेहद सीमित रही। मार्च 2025 तक 78 लोगों को रोजगार मिला था, इसके बाद नौ महीने में सिर्फ तीन लोगों को नौकरी मिल सकी है।
कहां-कितने कर्मचारी तैनात
सीएमओ कार्यालय में एक, डीआरडीए में दो, विकास प्राधिकरण में दो, तहसीलों में 18, नगर निगम शौचालयों में 35 महिलाओं सहित कुल 82 कर्मचारियों को ही रोजगार मिल पाया है।
प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल
पंजीकरण के बाद जब किसी विभाग में रिक्ति आती है तो पंजीकृत अभ्यर्थियों में से चयन का नियम है, मगर शिकायत है कि आधिकारिक प्रक्रिया का पालन नहीं होता और मनमर्जी से चयन कर दिए जाते हैं।
शहरी आजिविका केंद्र पर 1800 कुशल व अकुशल कामगार पंजीकृत हैं। विभागीय आवश्यकता अनुसार इन्हीं में से चयन कर रोजगार दिया जाता है। अब तक 82 लोगों को नियुक्ति दी गई है। -राकेश कुमार वर्मा, परियोजना सहायक, डूडा। |