deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

वेटलैंड्स में प्रवासी पेलिकन का आगमन: इन झीलों में बढ़ी रौनक, अनोखे शिकार को देखकर पर्यटक होते हैं रोमांचित

Chikheang 2025-11-16 17:37:52 views 456

  

पेलिकन की दो प्रवासी प्रजाति डालमेशन और ग्रेट व्हाइट पहुंचे शहर के वेटलैंड्स में



जागरण संवाददाता, आगरा। सूर सरोवर पक्षी विहार में सर्दियों का मौसम आते ही प्रवासी पक्षी पेलिकन की मौजूदगी हो गई है। पेलिकन दुनिया का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है, जो अपनी विशाल चोंच और थैलीनुमा गले के लिए जाना जाता है। इस बार आगरा में पेलिकन की दो प्रमुख प्रवासी प्रजातियां डालमेशन पेलिकन और ग्रेट व्हाइट पेलिकन (जिसे रोजी पेलिकन भी कहते हैं) पहुंच चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ये पक्षी सूर सरोवर, जोधपुर झाल और यमुना नदी के किनारों पर डेरा डाले हुए हैं। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के पक्षी विशेषज्ञ डा. केपी सिंह बताते हैं भारत में पेलिकन की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें डालमेशन और ग्रेट व्हाइट प्रवासी हैं, जबकि स्पाट-बिल्ड पेलिकन स्थानीय और प्रजनक है।

  
सर्दियों का मौसम आते ही शहर के वेटलैंड्स में होती है प्रवासी पक्षियों की माैजूदगी

  

सूर सरोवर में दोनों प्रवासी प्रजातियां हर साल सर्दियों में आती हैं। ये पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां पहुंचते हैं। रोजी पेलिकन को सूर सरोवर खास तौर पर पसंद है। इसका वैज्ञानिक नाम पेलेकेनस ओनोक्रोटलस है। डॉ. सिंह ने कहा, ये पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाईवे से उत्तर-पूर्वी यूरेशिया के देशों जैसे जार्जिया, अजरबैजान, कजाकिस्तान और यूक्रेन में गर्मियों में प्रजनन करते हैं। प्रजनन के बाद सर्दियां बिताने भारत के तराई क्षेत्रों के अलावा तुर्कमेनिस्तान, इरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड आते हैं।

पेलिकन की दो प्रवासी प्रजाति डालमेशन और ग्रेट व्हाइट पहुंचे शहर के वेटलैंड्स में


  

अब आगरा उनका पसंदीदा ठिकाना बन गया है क्योंकि यहां स्वच्छ पानी वाली झीलें और भरपूर मछलियां मिलती हैं। दूसरी ओर डालमेशन पेलिकन निकट-संकटग्रस्त प्रजाति है। वेटलैंड विशेषज्ञ निधि यादव के मुताबिक, इसका वैज्ञानिक नाम पेलेकेनस क्रिस्पस है। ये पक्षी रूस के साइबेरियन इलाकों में प्रजनन करते हैं और सर्दियों में मिडिल ईस्ट, ईरान के आसपास से भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, नेपाल और मध्य भारत तक पहुंचते हैं। मंगोलिया में प्रजनन करने वाले डालमेशन पेलिकन चीन के पूर्वी तट और हांगकांग तक जाते हैं।  

पक्षियों की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी


  

सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी के रेंज अफसर अंकित यादव ने बताया पेलिकन समेत सभी प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी की जा रही है। वन विभाग की टीमें गश्त बढ़ा रही हैं ताकि शिकार या अन्य खतरे से बचाव हो सके। सेंचुरी में स्वच्छ जल और शांत वातावरण बनाए रखने पर जोर है।


मछलियों को बनाते हैं भोजन


पेलिकन का भोजन तरीका अनोखा है। बीआरडीएस के अब्दुल कलाम के अनुसार, ये स्वच्छ झीलों में रहते हैं और मुख्य रूप से मछलियां खाते हैं। शिकार करते समय चोंच के निचले हिस्से में बनी थैली में मछलियों को इकट्ठा करते हैं, फिर पानी निचोड़कर निगल जाते हैं। यह दृश्य देखने लायक होता है।
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1110K

Credits

Forum Veteran

Credits
114692