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H-1B वीजा फीस एक लाख डॉलर करने पर भी नहीं भरा ट्रंप का मन, मंत्री ने दिए बदलाव के संकेत

Chikheang 2025-9-30 23:12:17 views 944

  H-1B visa के शुल्क में बढ़ोत्तरी के बाद बड़े बदलाव के संकेत





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा फीस को बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया है। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन इसमें फिर बदलाव करने की तैयारी में है।

इसको लेकर अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि फरवरी 2026 में 100,000 डॉलर शुल्क लागू होने से पहले एच-1बी वीजा प्रकिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने मौजूदा वीजा प्रकिया को गलत बताया है।



दरअसल, हाल ही में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 100,000 कर दिया था। ट्रंप की इस घोषणा के बाद से अमेरिकी टेक कंपनियों में हड़कंप मच गया। जिसके बाद वीजा होल्डर को तत्काल अमेरिका आने के लिए कहा गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

असमंजस की स्थिति उत्पन्न होने पर व्हाइट हाउस की ओर से बाद में स्पष्ट किया गया कि मौजूदा वीजा धारकों को इस व्यवस्था से कोई असर नहीं पड़ेगा। वे बिना किसी शुल्क के अमेरिका में आ-जा सकते हैं।


2026 तक निकलेगा हल

वहीं, इसको लेकर घोषणा के दौरान अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने बताया था कि नवीनीकरण और पहला आवेदन करने वालों समेत सभी लोगों को H-1बी वीजा के लिए 100,000 का शुल्क देना होगा।

लुटनिक ने इन बदलावों को लेकर बताया कि मुझे लगता है कि आगे चलकर इसमें वास्तविक बदलाव देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि लॉटरी प्रणाली को लेकर कुछ सवाल जरूर हैं। लेकिन फरवरी 2026 तक इन सभी सवालों का हल निकल जाएगा।


ट्रंप के फैसले से अमेरिकी कंपनियों पर बढ़ा दबाव

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में नए एच-1बी वीजा की आवेदन शुल्क मौजूदा 2,000 से 5,000 डॉलर से बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दी है।

ट्रंप के इस फैसले से इन अमेरिकी कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है, जो विदेशी कर्मचारियों पर निर्भर है। इसको लेकर सोमवार को अमेरिकी सीनेटरों ने एच-1बी और एल-1 कर्मचारी वीजा कार्यक्रमों एक विधेयक फिर से पेश किया। जिसमें उन्होंने वीजा प्रतिबंधों से प्रमुख कर्मचारियों को होने वाले चुनौतियों को बताया।



इधर इसको लेकर अर्थशास्त्रियों और उद्योग के जानकारों का कहना है कि ट्रंप की एच-1बी वीजा नीति अमेरिकी कंपनियों के महत्वपूर्ण कार्यों को भारत में स्थानांतरित करने में तेजी लाएगी।

अगर वीजा प्रतिबंधों में बदलाव नहीं किया जाता है तो उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिकी कंपनियां एआई, उत्पाद विकास, साइबर सुरक्षा और एनालिटिक्स से जुड़े उच्च-स्तरीय कार्यों को अपने भारत स्थित जीसीसी में स्थानांतरित कर देंगी। इससे वित्त से लेकर अनुसंधान एवं विकास तक के कार्यों को संभालने वाले वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विकास को गति मिलेगी।



यह भी पढ़ें: ट्रंप के गाजा पीस प्लान से पीछे हटेंगे नेतन्याहू? पढ़ें फलस्तीन के दर्जे पर क्या है इजरायल का प्लान
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