युवाओं में डायबिटीज के कारण और बचाव के तरीके (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डायबिटीज दुनियाभर में तेजी से अपने पैर पसारने लगी है। खासकर भारत में पिछले कुछ समय से इसके मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। यह एक लाइलाज बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं और इसे आमतौर बदलाओं और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों की मदद से कंट्रोल किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पहले जहां यह बीमारी बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती थी, वहीं अब युवाओं में इसके मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। पिछले कुछ समय से भारत में डायबिटीज के मामले युवाओं में काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं, तो एक चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे में जरूरी है कि इसके कारणों और इससे बचाव के लिए सही कदम उठाए जाए।
ऐसे में वर्ल्ड डायबिटीज डे के मौके पर बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में सेंटर फॉर डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा और एंडोक्रिनोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अशोक कुमार झिंगन से जानते हैं युवाओं में बढ़ते डायबिटीज के मामलों के बारे में विस्तार से-
डॉक्टर बताते हैं कि युवाओं में डायबिटीज के बढ़ते मामले दुनियाभर में गंभीर चिंता का विषय हैं और भारत भी इससे प्रभावित देशों में से एक है। युवाओं में इसके बढ़ते मामले, विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज के, मुख्य रूप से बदलती जीवनशैली और पर्यावरणीय बदलावों के कारण हैं। इसके कुछ संभव कारण निम्न हैं-
मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
- मोटापे की महामारी: इसका सबसे बड़ा कारण बचपन और किशोरावस्था में होने वाला मोटापा है। एक्स्ट्रा फैट टिश्यू शरीर में इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंस को बढ़ाता है।
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी: स्क्रीन के सामने घंटों समय बिताने के कारण इन दिनों युवाओं की शारीरिक गतिविधि बिल्कुल न के बराबर हो गई है। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटी की कमी इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाती है।
- अनहेल्दी डाइट: इन दिनों लोगों का खानपान भी काफी ज्यादा बदल चुका है। फैटी फूड, बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, शुगरी ड्रिंक्स और फास्ट फूड्स की ज्यादा मात्रा वजन बढ़ने और ग्लूकोज लेवल बिगड़ने में योगदान देती है, जिससे इसे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
- जेनेटिक रीजन: यह बीमारी जेनेटिक वजहों से भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती हैं।
- मां से बच्चे में: जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज था या जो प्रेग्नेंसी से पहले मोटापे से पीड़ित थीं, उनके बच्चों में आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
- पर्यावरणीय कारक: वायु प्रदूषण और कुछ हानिकारक केमिकल के लगातार संपर्क में रहने से इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो सकती है और इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
- तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे ब्लड शुगर का नियंत्रण प्रभावित होता है।
ऐसे करें अपना बचाव
- किसी भी बीमारी से बचने के लिए हेल्दी डाइट सबसे ज्यादा जरूरी मानी जाती है। इसलिए डायबिटीज का खतरा कम करने के लिए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर डाइट को फॉलो करें।
- रोजाना कम से कम 60 मिनट मीडियम इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज करने का टारगेट रखें।
- हेल्दी वेट बनाए रखें। हेल्दी बीएमआई प्राप्त करने और उसे बनाए रखने के लिए अच्छी डाइट और डेली एक्सरसाइज को फॉलो करें।
- स्ट्रेस मैनेज करने के लिए तनाव कम करने वाली एक्टिविटीज जैसे ध्यान, योग या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कर सकते हैं।
डायबिटीज मैनेज करने के तरीके
- डायबिटीज को मैनेज करने के लिए सबसे जरूरी समय पर इसका निदान है। ऐसे में नियमित हेल्थ चेकअप से इसका जल्दी पता लगाने में मदद मिल सकती है।
- डायबिटीज का शिकार होने पर डॉक्टर दी गई निर्धारित दवाओं और इंसुलिन के नियमों का पालन करें।
- इसे मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है। इसलिए हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट का ध्यान रखें।
- रेगुलर चेकअप कराते रहें। ब्लड शुगर के लेवल, HbA1c और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों पर नजर रखने से इसे मैनेज करने में मदद मिलती है।
यह भी पढ़ें- कहीं आपका बच्चा तो नहीं Type-2 Diabetes का अगला शिकार? 7 लक्षण दिखते ही तुरंत भागे डॉक्टर के पास
यह भी पढ़ें- डायबिटीज से पहले शरीर में नजर आते हैं ये 5 लक्षण, अनदेखा करने की भूल बना देगी बीमारी का शिकार
|