सरकार ने असहायों को बांटे जाने वाले कंबलों की गुणवत्ता और प्रकार में बड़े बदलाव किए हैं।
जुलकर नैन, चतरा। सरकार की गरीबों को राहत योजना सवालों के घेरे में है। सरकार के फैसले से गरीबों का ठिठुरन दूर नहीं होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष असहायों को बांटे जाने वाले कंबलों की गुणवत्ता और प्रकार में बड़े बदलाव किए गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन इन बदलावों से लाभ कम और नुकसान अधिक नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक, इस बार सरकार ने पारंपरिक ऊनी कंबलों की जगह मिंक ब्लैंकेट वितरित करने का निर्णय लिया है।
मिंक ब्लैंकेट दिखने में आकर्षक जरूर हैं, परंतु गरीबों के लिए अनुपयोगी साबित हो सकते हैं। दरअसल, मिंक कंबल पूरी तरह पॉलिस्टर से बना होता है, इसमें ऊन का एक प्रतिशत अंश भी नहीं होता।
यह कंबल स्पर्श में मुलायम और दिखने में चमकदार होता है, लेकिन इसकी गर्माहट बेहद सीमित होती है। यही कारण है कि इसे आमतौर पर आर्थिक रूप से सक्षम लोग ही प्रयोग करते हैं — जो ठंड बढ़ने पर हीटर या बंद कमरों में रहते हैं।
वहीं, गरीब तबके के लोग अलाव या अंगीठी का सहारा लेते हैं। ऐसी स्थिति में मिंक कंबल आग को तुरंत पकड़ लेता है, जिससे दुर्घटना की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गरीबों को बेहतर सुविधा देने का वास्तविक अर्थ यही होगा कि उन्हें पहले से अधिक गर्म और टिकाऊ ऊन के कंबल उपलब्ध कराए जाएं। वैसे भी बाजार में मिंक कंबल की उपलब्धता सीमित है।
60 गुणा 90 इंच आकार और 2 किलो वजन वाला ग्लॉडी व डबल प्लाई मिंक कंबल आम उपयोग में नहीं आता, इसे विशेष आर्डर पर तैयार करना पड़ता है, जिससे वितरण में विलंब तय है।
महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव मनोज कुमार ने इस संबंध में सभी उपायुक्त को पत्र जारी करते हुए निर्धारित मापदंड पर कंबल का क्रय एवं गरीबों में वितरण का आग्रह किया है।
पत्रांक-05/मस/योजना-151/2022-3353 दिनांक 11 नवंबर 2025 में कहा है कि जिला स्तर पर क्रय करते हुए 15 दिसंबर तक वितरण सुनिश्चित करें। इधर विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि योजना का संकल्प 13 नवंबर तक जारी नहीं हुआ था। यदि एक दो दिनों में राज्यादेश जारी होता भी तो एक महीने के भीतर निविदा और आपूर्ति के साथ गरीबों में वितरण संभव नहीं है।
कंबल क्रय को लेकर सचिव का पत्र आया है। लेकिन अब तक संकल्प नहीं आया है। आवंटन के बाद ही निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। इस बार गुणवत्ता को लेकर कुछ बदलाव किए गए हैं। क्रय में समस्या हो सकती है।
-सुकरमणि लिंडा, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा, चतरा। |