रात में भी पराली जलाई तो पकड़े जाएंगे किसान। फोटो जागरण
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में किसान शाम ढलने के बाद भी पराली (धान के फसल अवशेष) नहीं जला पाएंगे। विभिन्न जिलों में पराली प्रोटेक्शन फोर्स बनाई गई है, जो रात को भी खेतों में घूमेंगी। टास्क फोर्स में पुलिस कर्मचारियों के साथ कृषि अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जो खेतों की निगरानी करते हुए किसानों को पराली जलाने से रोकेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में बताया गया कुछ किसान उपग्रह की निगरानी से बचने के लिए देर रात पराली जलाने की कोशिश करते हैं। इसलिए देर शाम की गश्त पर खास ध्यान दिया गया है।
इंटरनेट मीडिया सहित अन्य माध्यमों से शिकायतों को प्राप्त करने और उनका समाधान करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक नोडल अधिकारी की रेड और येलो जोन में अधिकतम 50 किसानों और ग्रीन जोन में 100 किसानों की निगरानी की जिम्मेदारी है।
पराली की गांठों के भंडारण के लिए 249 एकड़ पंचायती भूमि की पहचान की है। ये डिपो आग के खतरों से होने वाले नुकसान को रोकेंगे और औद्योगिक उपयोग के लिए निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि इस सीजन में अब तक फरीदाबाद में दो और फतेहाबाद, जींद, कुरुक्षेत्र तथा सोनीपत में एक-एक स्थान पर पराली जलाने के कुल छह मामले सामने आए हैं।
सभी मामलों में एफआइआर दर्ज की गई है और संबंधित किसानों के भू-अभिलेखों में रेड एंट्री की गई है। इसके अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) जुर्माना भी लगाया गया है। पराली जलाने के किसी भी मामले में सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश में 39.33 लाख एकड़ धान क्षेत्र है। 0-crime,cyber fraud,Hazaribagh cyber crime,mobile hacking,online fraud,KYC scam,financial fraud,cyber police Hazaribagh,WhatsApp hacking,Bank fraud,Jharkhand news
पांच लाख 65 हजार किसानों ने पराली प्रबंधन हेतु पंजीकरण कराया है। सबसे ज्यादा करनाल (4.69 लाख एकड़), कैथल (4.34 लाख एकड़), सिरसा (3.70 लाख एकड़), फतेहाबाद (3.61 लाख एकड़) और जींद (3.56 लाख एकड़) के किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है।
इस वर्ष 472 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि स्वीकृत की गई है। किसानों को स्थायी अवशेष प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रति एकड़ 1200 रुपये दिए जा रहे हैं।
हर खेत का होगा मानचित्रण मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी गांवों में हर खेत का मानचित्रण किया जाए। इससे पराली प्रबंधन के विशिष्ट तरीके चाहे वह फसल विविधीकरण हो, स्थानीय स्तर पर समावेशन हो, चारे के रूप में बाहरी उपयोग हो या उद्योगों को आपूर्ति हो, उचित रूप से निर्धारित और कार्यान्वित किए जा सकेंगे।
उन्होंने किसानों को बायोमास संयंत्रों, ब्रिकेटिंग यूनिट्स जैसे उद्योगों और हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम से जोड़कर एक मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने के महत्व पर बल दिया। सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए किसानों को औद्योगिक खरीदारों से सीधे जोड़ने के लिए आनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग भी किया जा रहा है।
उपायुक्त भी व्यक्तिगत रूप से करेंगे निगरानी मुख्य सचिव ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे अपने जिलों में तैयारियों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करें और कटाई के पीक सीजन से पहले सभी निवारक उपाय पूरी तरह लागू करें। बैठक में कृषि विभाग के पोर्टल और मेरी फसल मेरा ब्योरा के कामकाज की भी समीक्षा की गई जो पंजीकरण, मशीनों की बुकिंग, प्रोत्साहन राशि के वितरण और रीयल टाइम डेटा रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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