जीरकपुर-डेराबस्सी में गैरकानूनी इमीग्रेशन कंपनियों का जाल, प्रशासन पर उठे सवाल
संवाद सहयोगी, जीरकपुर। पंजाब में गैरकानूनी तौर पर चल रही इमीग्रेशन कंपनियों का जाल दिन-प्रतिदिन फैलता जा रहा है। मोहाली ही नहीं, डेराबस्सी, जीरकपुर, खरड़, लालडू और बनूड़़ भी फर्जी इमीग्रेशन कंपनियों के लिए हॉटस्पॉट बन चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, जिले में 350 से अधिक इमीग्रेशन कंपनियां चल रही हैं। इनमें से ज्यादातर बिना लाइसेंस के फर्जी दस्तावेजों के सहारे चल रही हैं। प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर छह महीनों में लगभग 40 कंपनियों के ही लाइसेंस रद किए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि, जिन इमिग्रेशन कंपनियों के लाइसेंस रद किए जाते हैं उनमें से ज्यादातर मालिक का नाम बदलकर नया रजिस्ट्रेशन करवाकर और पते में बदलाव कर दोबारा से कारोबार शुरू कर देते हैं। फर्जी इमीग्रेशन कंपनियां युवाओं और परिवारों को सुनहरे सपनों का लालच देकर उनकी जिंदगी भर की कमाई पल भर में हड़प लेती हैं। पुलिस-प्रशासन भी अकसर शिकायत दर्ज करने तक ही सीमित रहता है, जिससे इनका कारोबार और फल-फूल रहा है।
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प्रशासन की उदासीनता पर लोगों ने उठाए सवाल
लोगों का कहना है कि थानों में दी गई शिकायतें केवल कागजों तक सीमित रह जाती हैं। पीड़ित महीनों चक्कर लगाते हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई बहुत कम देखने को मिलती है। इस वजह से ठगों के हौसले बुलंद हैं। लोगों का मानना है कि यदि प्रशासन समय रहते सख्ती दिखाए, तो न केवल करोड़ों रुपये की ठगी रोकी जा सकती है बल्कि युवाओं का भविष्य भी सुरक्षित किया जा सकता है।
पिछला रिकॉर्ड जांचे बिना पैसे दिए तो ठगी होना तय
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने युवाओं और उनके परिजनों से अपील की है कि वे बिना जांचे-परखे किसी भी इमीग्रेशन कंपनी पर भरोसा न करें। अगर कंपनी का लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और पिछला रिकॉर्ड जांचे बिना पैसे दिए जाते हैं तो ठगी का शिकार होना तय है।
इसके अलावा कई बार ऐसे लोग युवाओं को “डंकी रूट” यानी अवैध रास्तों से विदेश भेजने का झांसा देते हैं, जिसमें उनकी जान तक जोखिम में पड़ जाती है। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां डंकी रूट से विदेश भेजे गए लोग रास्ते में ही मौत का शिकार हो गए।
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