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AIIMS Rishikesh Scam: स्वास्थ्य सुविधाओं से ज्यादा घोटालों से जुड़ा एम्स का नाम, सीबीआइ अब तक कर चुकी तीन केस_deltin51

LHC0088 2025-9-29 12:35:56 views 1246

  एम्स ऋशिकेश में हुए करोड़ों के घोटाले में सीबीआइ अब तक दर्ज कर चुकी है तीन मुकदमे. File





जागरण संवाददाता, देहरादून। आला दर्जे की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नागरिकों को दिल्ली की दौड़ न करनी पड़े, इस बात को ध्यान में रखते ही ऋषिकेश में एम्स का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाइ) के तहत किया गया था। इसकी नींव दो फरवरी 2004 को रखी गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह संस्थान 2012 में स्थापित हुआ था और धीरे-धीरे ओपीडी व आइपीडी व अन्य सर्जरी सुविधाएं शुरू हुई। लेकिन, समय के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की जगह एम्स ऋषिकेश नाम घोटालों से ज्यादा जुड़ने लगा। एम्स में हुए करोड़ों के घोटाले संबंधी अब तक सीबीआइ तीन मुकदमे दर्ज कर चुकी है।



अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में इससे पहले स्वीपिंग मशीन व दवा खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाला भी सामने आ चुका है। इस मामले तत्कालीन प्रोफेसर, अधिकारियों समेत पांच को आरोपित बनाया गया है।

एम्स में रोड स्वीपिंग मशीन व केमिस्ट स्टोर के आवंटन में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता वाला करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का यह घोटाला सीबीआइ के संज्ञान में वर्ष 2022 में आया था। इसके बाद सीबीआइ ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर सहित 09 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।



प्राथमिक जांच में सीबीआइ ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बलराम जी ओमर, एनाटामी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद पांचों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

वहीं, त्रिवेणी सेवा फार्मेसी के मालिक को भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोपित बनाया गया है। वर्ष 2022 के दौरान सीबीआइ को एम्स में मशीनों व मेडिकल स्टोर के आवंटन में घोटाले की सूचना मिली थी। सीबीआइ की टीम ने तीन फरवरी 2022 को एम्स ऋषिकेश में दबिश दी। यह कार्रवाई 07 फरवरी 2022 तक चली।



इसके बाद टीम 22 अप्रैल 2022 को फिर से एम्स पहुंची और कई दस्तावेज खंगालने के बाद स्वीपिंग मशीन खरीद और मेडिकल स्टोर आवंटन में 4.41 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया। इसके बाद सीबीआइ ने एम्स के पांच अधिकारियों समेत 09 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है।Aaj Ka Love Rashifal , Aaj Ka Love Rashifal 29 September 2025, 29 September love horoscope, Aries love prediction, Cancer love forecast, taurus love prediction, gemini love prediction, daily zodiac love, 29 September relationship horoscope, love astrology today, romantic zodiac signs, mesh love rashifal, vrishabh love rashifal, mithun love rashifal, kark love rashifal   
अयोग्य कंपनी को टेंडर दिया, खरीदी पुरानी मशीन

सीबीआई की जांच में सामने आया है कि स्वीपिंग मशीन खरीदने के लिए एम्स में 05 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी में डा. बलराम जी ओमर, डा. बृजेंद्र सिंह, डा. अनुभा अग्रवाल, दीपक जोशी व शशिकांत शामिल थे।



आरोप है कि निविदा प्रक्रिया में मानकों को ताक पर रखकर कमेटी ने योग्य कंपनी को बाहर करते हुए अयोग्य कंपनी को टेंडर दे दिया और 02 करोड़ रुपये की मशीन खरीदी, जो सिर्फ 124 घंटे ही चली। इसी तरह एम्स में केमिस्ट की दुकान का टेंडर आवंटित करने में अनियमितता बरती गई। टेंडर प्रक्रिया के विपरीत मैसर्स त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को टेंडर आवंटित किया गया।
उन्नत वेसल सीलिंग उपकरणों की खरीद में भी किया बड़ा घोटाला

एम्स में उपकरणों की खरीद घोटाले में सीबीआई ने एक दूसरा मुकदमा अगस्त 2023 में दर्ज किया था। उपकरण खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता की शिकायत के बाद सीबीआई अपराध निरोधक शाखा तथा एम्स के अधिकारियों ने 31 मार्च 2023 को जांच की थी।



इस दौरान पता चला कि एम्स ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण की खरीद के लिए 08 जनवरी 2019 से 22 फरवरी 2019 के बीच टेंडर प्रक्रिया की गई थी। जिसमें एम्स ऋषिकेश में कार्यरत माइक्रोबायोलाजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर बलराम जी ओमर को खरीद अधिकारी और समन्वयक नियुक्त किया गया था। इससे पूर्व एम्स ऋषिकेश ने यही उपकरण 19 लाख 90 हजार रुपये प्रति यूनिट की दर से क्रय किए थे।
करोड़ों के उपकरण खरीदे, 03 साल तक उपयोग नहीं किया

एक अन्य कंपनी मैसर्स रिया एजेंसीज से भी एम्स ऋषिकेश ने 07 उन्नत वेसिल सीलिंग उपकरण की खरीद करीब 54 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से कुल 03 करोड़ 83 लाख रुपये में खरीदे। जांच में यह भी पाया गया कि करोड़ों की लागत से खरीदे गए इन उपकरणों का उपयोग 03 वर्ष तक नहीं किया गया। इस खरीद में लगभग 6.57 करोड रुपये से अधिक की राशि का घोटाला किया गया।



इस मामले में सीबीआइ ने 21 अगस्त 2023 को एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. बलराम जी ओमर , मैसर्स आरोग्य इंटरनेशनल, सेंट्रल मार्केट, प्रशांत विहार, नई दिल्ली और उसके साझेदार सुमन वर्मा व विश्ववीर वर्मा निवासी पीतमपुरा, नई दिल्ली साथ ही मैसर्स रिया एजेंसीज, ट्रांसपोर्ट नगर, जोधपुर, राजस्थान और उसके पार्टनर निखिल कुमार निवासी महादेव रोड, नई दिल्ली, आदित्य कुमार सिंह निवासी जगसरा, हरदोई, उत्तर प्रदेश व एक अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।



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