deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Kaal Bhairav Jayanti 2025: क्यों काल भैरव देव को कहा जाता है काशी का कोतवाल? यहां पढ़ें पौराणिक कथा

deltin33 2025-11-10 17:22:55 views 319

  

Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव देव को कैसे प्रसन्न करें?



प्रो. विनय कुमार पांडेय (पूर्व अध्यक्ष, ज्योतिष विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)। सनातन धर्म की मान्यतानुसार सृष्टि व्यवस्था के संचालन हेतु स्वयं परमब्रह्म ही माया प्रपंच से आवश्यकतानुसार विभिन्न स्वरूपों में उपस्थित होता हुआ ब्रह्मांडीय व्यवस्था के संचालन में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसमें ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव स्वरूप त्रिदेव प्रमुख हैं। इनमें से औघड़दानी के रूप में अपने भक्तों की थोड़ी तपस्या से भी प्रसन्न होकर मनोवांछित वर प्रदान करने वाले भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में से एक कालभैरव भी हैं, जो भगवान शिव के मुख्य गण के रूप में विख्यात हैं। भैरव उत्पत्ति के अनेक प्रसंग पुराणों में प्राप्त होते हैं।

  

स्कंद पुराण के अनुसार, ब्रह्मा व विष्णु के अंश कृतु के विवाद के समय जब ज्योतिर्लिंग रूप में शिव का प्रादुर्भाव हुआ, तब सभी ऋषि-मुनियों ने एक स्वर में शिव का वैशिष्ट्य बताया, परंतु ऋषि-मुनियों की बातें सुनकर पंचमुखी (इस प्रकरण के पहले ब्रह्मा जी के पांच मुखों का वर्णन प्राप्त होता है) ब्रह्मा जी का एक सिर अहंकारवश क्रोध से जलने लगा। वे क्रोध में आकर भगवान शंकर का अपमान करने लगे।

इससे भगवान शंकर रौद्र रूप में आ गए और उनसे ही उनके रौद्र स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई और भगवान शिव ने कहा कि आपसे काल भी डरेगा। इसलिए आपका नाम कालराज या कालभैरव होगा। दुष्टों का दमन करने के कारण लोग आपको आमर्दक भी कहेंगे। भक्तों के पापों का भक्षण करने के कारण आपको पाप भक्षण भी कहा जाएगा। काशी में यमराज का अधिकार नहीं होगा, अपितु यहां पाप करने वालों को दंड देने का अधिकार आपके अधीन होगा। इसके बाद भगवान शिव की इच्छा से कालभैरव ने क्रोधग्रस्त ब्रह्माजी के पांचवें सिर को अपने बाएं हाथ के भयंकर नखों से नोच लिया, जिससे भैरव जी को ब्रह्म हत्या का दोष लग गया और ब्रह्मा का पांचवां मुख भी उनके हाथ में ही चिपककर रह गया।

इसके निवारण के लिए भगवान शिव ने उनको कपालव्रत धारण कर भिक्षाटन करते हुए सभी तीर्थों का भ्रमण कर प्रायश्चित का सुझाव दिया और भैरव जी वहां से तीर्थयात्रा पर निकल गए। सभी लोकों और तीर्थों का भ्रमण करते हुए भैरव जी विष्णु लोक गए, जहां भगवान विष्णु ने उन्हें काशी जाने का परामर्श दिया।

काशी प्रवेश के पूर्व ही भैरव की ब्रह्महत्या पाताल को चली गई और मत्स्योदरी तथा गंगा के संगम में स्नान करने से भैरव के हाथ से छूटकर ब्रह्मा का कपाल वहीं गिर पड़ा। तभी से उस स्थान का नाम कपालमोचन भी हुआ और उसी के समीप भैरव बैठ गए, जो वाराणसी में भैरव के मुख्य स्थान के रूप में वर्णित है।

वामन पुराण के अनुसार, अंधकासुर के साथ भगवान शिव के युद्ध में जब अंधकारसुर ने भगवान शिव के हृदय पर गदा से प्रहार किया तो भगवान शिव के हृदय का रक्त चार दिशाओं में भूमि पर गिरा, जिससे अष्टभैरव की उत्पत्ति हुई, जिनकी सहायता से भगवान शिव ने अंधकासुर की सेना का विनाश किया।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृतिखंड के 61वें अध्याय के अनुसार, महाभैरव, संहार भैरव, असितांगभैरव, रुरुभैरव, कालभैरव, क्रोधभैरव, ताम्रचूड और चंद्रचूड़ रूपी अष्टभैरव का वर्णन प्राप्त है, जिनके पूजन के बिना शक्ति की आराधना परिपूर्ण नहीं होती। कहा गया है-आदौ महाभैरवंच संहारभैरवंतथा। असितांगभैरवंच रुरुभैरवमेव च। ततः कालभैरवंच क्रोधभैरवमेव च। ताम्रचूड़ं चंद्रचूड़म् अंते च भैरवद्वयम्।

तंत्रसार में असितांग भैरव, रुरु भैरव, चंडभैरव, क्रोधभैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव का वर्णन प्राप्त होता है, जो काशी के अष्ट दिशाओं में प्रतिष्ठित हैं। कालिका पुराण अध्याय 44 के अनुसार नंदी, भृंगी, महाकाल, वेताल तथा भैरव ये भगवान शिव के मुख्य गणाधिप हैं, जिनकी आराधना के साथ ही भगवान शिव की आराधना परिपूर्ण होती है। भगवान शिव के वरदानस्वरूप काशी में किसी भी जीव को यमराज की यातना नहीं प्राप्त होती और कालभैरव जीव को उसके पाप कर्मों के लिए भैरवी यातना देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सायंकाल भगवान शिव के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस अष्टमी को श्रीभैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष श्रीभैरवाष्टमी बुधवार, 12 नवंबर को पड़ रही है। इसलिए इस दिन भगवान भैरव का दर्शन-पूजन आदि विशिष्ट फलदायक माना गया है।

यह भी पढ़ें- Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती पर करें ये उपाय, शत्रुओं से मिलेगा छुटकारा  

यह भी पढ़ें- Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती पर करें ये काम, मिलेगी कई समस्याओं से राहत
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

810K

Credits

administrator

Credits
89457