आईआईटी (बीएचयू) के रक्षा अनुसंधान को तीनों सेनाओं का मिला समर्थन।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू), वाराणसी के नवोन्मेषी अनुसंधान को भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं से उच्च प्रशंसा और वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह उपलब्धि एक ऐतिहासिक मील का पत्थर सिद्ध होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के डॉ. अजय प्रताप तथा आईआईआईटी गुवाहाटी के डॉ. राकेश मातम के संयुक्त कार्य को गुरुवार, 25 सितम्बर 2025 को नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित ट्राई सर्विसेज एकेडेमिया टेक्नोलॉजी संगोष्ठी के समापन सत्र में मान्यता दी गई। इस अवसर पर जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत सहित देशभर से आए प्रतिष्ठित शोधकर्ता उपस्थित रहे।
Virat Kohli, Virat Kohli post, Anushka Sharma, Salman Agha, Suryakumar Yadav, IND vs PAK, India vs Pakistan, India vs Pakistan final, Asia Cup 2025, Asia Cup 2025 Final, Asia Cup t20, Dubai International Cricket Stadium, Dubai, aaj ka match, live match, cricket news, sports news, Indian cricket team, Pakistan cricket team, IND PAK match, विराट कोहली, विराट कोहली पोस्ट, सूर्यकुमार यादव, सलमान अली आगा, सलमान आगा, भारत बनाम पाकिस्तान, भारतीय क्रिकेट टीम, पाकिस्तान क्रिकेट टीम, एशिया कप 2025
इस अवसर पर माननीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ऐसे अकादमिक–रक्षा सहयोग भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और आत्मनिर्भरता की नींव रख रहे हैं, जिससे भारतीय सेनाओं को स्वदेशी, अगली पीढ़ी के समाधानों से सुसज्जित किया जा सकेगा।
इस उपलब्धि पर आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि यह उपलब्धि आईआईटी (बीएचयू) की उस मूल भावना को दर्शाती है, जहाँ ज्ञान, नवाचार और राष्ट्र-सेवा का संगम होता है। हमारे संकाय के शोध को सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं द्वारा मान्यता मिलना न केवल संस्थान के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह इस बात की पुनर्पुष्टि भी है कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने में अकादमिक संस्थानों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
भारतीय सेना के साथ हमारा सहयोग, सुदृढ़, एआई-संचालित और भविष्य-उन्मुख रक्षा तकनीकों के विकास में, इस बात का सशक्त उदाहरण है कि शोध किस प्रकार सीधे राष्ट्र की सुरक्षा सीमाओं को मज़बूत कर सकता है। यह वास्तव में ‘विवेक एवं अनुसंधान से विजय’ है।
 |