तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ सहित कई प्रमुख शिक्षक संगठनों ने एक मंच पर आकर अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया है। यह मोर्चा सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता का कड़ा विरोध कर इसके समाधान को केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगा। उत्तराखंड के 18 हजार शिक्षक इस निर्णय से प्रभावित हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शिक्षक संगठनों की दिल्ली में हुई बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि यह मोर्चा सुप्रीम कोर्ट के टीईटी अनिवार्यता से संबंधित फैसले के बाद शिक्षकों की सेवा सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ेगा। संगठनों ने स्पष्ट कहा कि शिक्षकों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सभी संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की कि सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल्द ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही कहा कि यदि केंद्र सरकार ने शीघ्र कोई निर्णय नहीं लिया तो संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान देशभर के शिक्षक दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन करेंगे।ghaziabad-local,Ghaziabad news,Rajnagar Extension road,Ghaziabad road construction,GDA Ghaziabad,Land acquisition Ghaziabad,Outer Ring Road Ghaziabad,Infrastructure development Ghaziabad,Ghaziabad development news,Uttar Pradesh news
यह भी तय किया गया है कि राज्यों में अभियान चलाकर अधिक से अधिक शिक्षकों को इस मोर्चे से जोड़ा जाएगा और सामूहिक आंदोलन को तेज किया जाएगा।
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मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सुभाष चौहान ने कहा कि शिक्षकों का उत्पीड़न कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और क्रमबद्ध आंदोलन चलाकर उन्हें न्याय दिलाया जाएगा। शनिवार को शिक्षक भवन दिल्ली में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष बसवराज गुरिकर, राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उमाशंकर सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय मिश्रा, संगठन सचिव अर्जुन सिंह, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विनय तिवारी तथा जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश तिवारी व महासचिव सुभाष चौहान सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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