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Durga Ashtami 2025: कब है दुर्गा अष्टमी? यहां पढ़ें दुर्गाबाड़ी-कालीबाड़ी का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व_deltin51

cy520520 2025-9-28 13:36:05 views 1249

  Durga Ashtami 2025: दुर्गा अष्टमी, महाष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार को है। अबकी दुर्गा अष्टमी तिथि का प्रभाव अर्धरात्रि तक रहेगा।





संवाद सहयोगी, भागलपुर। Durga Ashtami Kab Hai दुर्गा अष्टमी का नवरात्र में विशेष महत्व है। महाअष्टमी की निशा पूजा जनमानस के लिए बहुत फलदायी मानी जाती है। नवरात्रि 2025 के इस वर्ष में विशेष संयोग यह है कि दुर्गा अष्टमी तिथि का प्रभाव अर्धरात्रि तक रहेगा। इसी दिन भक्तों और उपासकों द्वारा अपने आराध्य मां दुर्गा की निशापूजा और रात्रि जागरण किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस समय की गई आराधना और उपासना भक्त की मनोकामनाओं की पूर्ति करती है और साधकों को उनके क्षेत्र व जीवन में विशेष सिद्धि का लाभ मिलता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


आज मां कात्यायनी पूजा और संतान दीर्घायु हेतु षष्ठी व्रत

शारदीय नवरात्र पर शहर भक्ति भावना से सराबोर हो उठा है। वहीं गली मोहल्ले, सड़कें सजने लगी है। मंदिरों और घरों में दुर्गासप्तशती के श्लोक गूंज रहे हैं। सजावट शहर के पंडालों को जीवंत करने लगी है। शनिवार को देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की गई। रविवार को मां कात्यायनी की आराधना होगी। तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि मां कात्यायनी की पूजा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। संतान की दीर्घायु के लिए भी यह व्रत फलदाई माना गया है।


नवरात्र की महत्वपूर्ण तिथियां और पूजन विधान

  • मां कात्यायनी पूजा, बिल्वाभिमंत्रणम् एवं गज पूजा - 28 सितंबर, रविवार
  • मां कालरात्रि पूजा, नवपत्रिका प्रवेश - 28 सितंबर, पूर्वाह्न
  • दुर्गा अष्टमी, निशापूजा एवं रात्रि जागरण - 29 सितंबर, सोमवार (जिस दिन अर्धरात्रि में अष्टमी का संयोग रहेगी उसी दिन निशा पूजा और रात्रि जागरण होगा)
  • महाअष्टमी व्रत एवं डलिया/खोइछा अर्पण - 30 सितंबर, मंगलवार
  • मां सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी - 1 अक्टूबर, बुधवार (बलि प्रदान, हवन और व्रत विधान)
  • मां महागौरी पूजा, विजया दशमी - 2 अक्टूबर, गुरुवार (विसर्जन, नवरात्र पारण, अपराजिता पूजा एवं नीलकंठ दर्शन)

बंगला विधि से हुई प्रतिमा स्थापना

कालीबाड़ी मानिक सरकार और दुर्गाबाड़ी मशाकचक में शनिवार शाम बंगाली परंपरा के अनुसार प्रतिमा स्थापना की गई। शंख, घंटे और बंगाल के पारंपरिक ढाक की ध्वनि से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा। कालीबाड़ी में प्रधान पंडित देवाशीष मुखर्जी और पंडित राजनारायण मुखर्जी, वहीं दुर्गाबाड़ी में पंडित गोपीनाथ चटर्जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापना कराई।bhiwani-state,Bhiwani news,Manisha death case,CBI investigation,Haryana crime news,Teacher death mystery,Bhiwani district,Crime investigation,Forensic report,Police investigation,Murder investigation,Haryana news   



कालीबाड़ी दुर्गापूजा कमेटी के महासचिव विलास बागची ने बताया कि शाम 7:15 बजे मां का बोधन किया गया और रात 8:15 बजे प्रतिमा की स्थापना हुई। उन्होंने बताया कि वर्ष 1941 से यहां बंगला रीति से पूजा होती आ रही है और इस वर्ष 85वीं दुर्गापूजा मनाई जा रही है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी को केला, कोहड़ा एवं ईख की पारंपरिक बलि दी जाएगी। हांडी का भोग भी तीनों दिन लगाया जाएगा।
रविवार को षष्ठी व्रत रखेंगी महिलाएं

रविवार को बंगाली समाज की महिलाएं संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए षष्ठी व्रत करेंगी। दुर्गाबाड़ी के सचिव सुजय सर्वाधिकारी ने बताया कि स्थापित प्रतिमा के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए हैं। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष डा शांतनु कुमार घोष, निरूपम कांतिपाल, चंदन राय सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


गरबा डांस और फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता

दुर्गाबाड़ी में देर शाम बच्चों द्वारा गरबा नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें दो दर्जन से अधिक बच्चे शामिल हुए। चंदन राय ने बताया कि रविवार सुबह फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता होगी। शाम में पंडित सुनील मिश्रा द्वारा गजल और भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
गांव-देहात से शहर तक भक्ति का माहौल

बूढ़ानाथ मंदिर में शहनाई वादन जारी है, जबकि आदमपुर, हडियापट्टी, मोहद्दीनगर, मिरजानहाट, मुंदीचक, मंदरोजा, लहेरीटोला,हाउसिंग बोर्ड, जिछो, मानिकपुर, तिलकामांझी सहित शहर के तमाम दुर्गामंदिरों में सुबह-शाम महिलाओं की आरती और वंदन के लिए भीड़ उमड़ रही है।

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