मौलाना तौकीर रजा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।- फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, बरेली। मौलाना तौकीर रजा का आपराधिक इतिहास लंबा है। वर्ष 1982 से मौलाना के विरुद्ध मुकदमे पंजीकृत होना शुरू हो गए थे। पूर्व में 10 मुकदमे पंजीकृत हो चुके हैं। वह वर्ष 2010 के दंगे में भी आरोपित है। इसके बाद भी पूर्व की सरकारों में वह जेल जाने से बचता रहा। इसी बात से हर बार मौलाना की हिम्मत बढ़ती रही और पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाता गया। इस बार भाजपा सरकार में मौलाना ने जब फिर से उपद्रव कराया तो महंगा पड़ गया। उपद्रव की रात ही पुलिस ने मौलाना को खींचकर लाई और भोर में जेल भेज दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मौलाना तौकीर रजा के विरुद्ध सबसे पहले वर्ष 1982 में दंगा कराने की प्राथमिकी कोतवाली में पंजीकृत हुई। इसके बाद दूसरी प्राथमिकी 1987, तीसरी प्राथमिकी 1988, चौथी प्राथमिकी फिर दंगे की 1996 में पंजीकृत की गई। इसके बाद पांचवीं प्राथमिकी 2000, छठी प्राथमिकी 2007, सातवीं प्राथमिकी 2010 में प्रेमनगर थाने में दंगे की, आठवीं प्राथमिकी 2019 में कोतवाली में, नौ प्राथमिकी संभल में वर्ष 2020 में पंजीकृत की गई। इसके बाद दसवीं प्राथमिकी वर्ष 2023 में फरीदपुर थाने में पंजीकृत की गई।
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लगातार दंगों की तीन प्राथमिकी पंजीकृत होने के बाद भी जब मौलाना की गिरफ्तारी नहीं हुई तो मौलाना के हौसले और भी बुलंद होते चले गए। यही कारण रहा है कि वह आए दिन भड़काऊ बयान देकर लोगों को दंगा करने के लिए प्रेरित करता था। इस बार भी मौलाना ने यही प्रयास किया मगर योगी राज ने इसका दो टूक जवाब दिया और उसे उपद्रव की रात ही जेल भेज दिया।
हिस्ट्रीशीट, गुंडा और गैंग्स्टर की भी तैयारी
मौलाना के विरुद्ध अब तक 17 मुकदमे पंजीकृत हो चुके हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खुलने के लिए इतने मुकदमे काफी हैं। पुलिस ने अब मौलाना के विरुद्ध गुंडा एक्ट के अलावा गैंग्स्टर की कार्रवाई के साथ ही उसकी हिस्ट्रीशीट खोलने की भी तैयारी शुरू कर दी है। इसके बाद मौलाना कभी भी कोई भड़काऊ बयान देने की स्थिति में नहीं रहेगा।
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