deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

हाई कोर्ट ने कहा- पढ़ाई पर ध्यान दें, 500 में 499 अंक मांगने पर 20 हजार का लगाया हर्जाना

LHC0088 3 hour(s) ago views 389

  



विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विधि छात्रा की याचिका को 20 हजार के हर्जाना के साथ खारिज कर दिया। छात्रा ने छत्रपति साहूजी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अपनी पहले सेमेस्टर की एलएलबी की परीक्षा में 500 में से 499 अंक देने की मांग की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया। मौखिक आदेश में कोर्ट ने याची को सलाह दी कि अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें ताकि ईमानदारी से तैयारी करके अधिक अंक प्राप्त कर सकें और उसे फिर कभी इस न्यायालय का दरवाजा न खटखटाना पड़े। हर्जाना 15 दिन के भीतर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पास जमा करना होगा।

छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम की छात्रा ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्यायालय से अनुरोध किया कि उसे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में 500 में से 499 अंक दिए जाएं। आरोप लगाया कि उसे गलती से केवल 182 अंक दिए गए।

कोर्ट ने कहा कि याची ने 2021 और 2022 के बीच रिट याचिकाओं, समीक्षा याचिकाओं और विशेष अपीलों सहित कम से कम 10 याचिकाएं दाखिल की थीं। इस याचिका में उसने दावा किया कि उसे सभी विषयों में 100 अंक दिए जाने चाहिए और विश्वविद्यालय पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए।

कोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने याची की ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं की पुनर्परीक्षा के लिए समिति गठित की। विधि विभागाध्यक्ष और दो प्रोफेसरों वाली इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार सभी पांचों ओएमआर शीट का विस्तृत, प्रश्न-दर-प्रश्न सत्यापन किया गया।

रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि याची को 500 में कुल 181 अंक मिले थे। इसके जवाब में याची ने विस्तृत उत्तर और हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें विभिन्न दस्तावेज संलग्न थे ताकि यह साबित हो सके कि समिति ने गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उसने तर्क दिया कि वह हल किए गए प्रश्नों के लिए अंक पाने की हकदार है।

कोर्ट ने कहा कि याची ने अपने हलफनामे में प्रश्नों के उत्तर उद्धृत किए हों, लेकिन उनके स्रोत का कोई रिकार्ड नहीं है। हलफनामे में यह भी नहीं बताया गया कि ओएमआर शीट में कौन से प्रश्न सही चिह्नित किए गए थे, लेकिन यूनिवर्सिटी ने उनके लिए अंक नहीं दिए। इसलिए केवल अस्पष्ट कथनों के आधार पर न्यायालय कानून के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता।

निर्णय में कार्यवाही के दौरान हुई घटना का भी उल्लेख किया गया, इस समय जब न्यायालय वर्तमान आदेश पर अंतिम निर्णय दे रहा था, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित याची चेतावनी के बावजूद न्यायालय को बार-बार परेशान करती रही। उसने न्यायालय से वर्तमान मामले से खुद को अलग करने का भी अनुरोध किया, जिसे कड़ी मौखिक टिप्पणियों के साथ खारिज कर दिया जाता है।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
77518