राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आम उपभोक्ता ही नहीं कई सरकारी विभाग व संस्थाएं भी समय से बिजली के बिल का भुगतान नहीं कर रही हैं। वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि समय से बिल का भुगतान न होने पर उसे बिजली खरीदने के लिए 10 प्रतिशत से अधिक की ब्याज दर पर लोन लेकर बिजली उत्पादकों को भुगतान करना पड़ता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य सचिव एसपी गोयल ने बिलों के भुगतान में हीलाहवाली पर कड़ा रुख दिखाते हुए सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि समय से ही बिजली के बिल का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। बिलों के भुगतान के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था बजट में की जाए। स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि विलंब से बिल के भुगतान पर विभागों को भी अनिवार्य रूप से लेट पेमेंट सरचार्ज देना ही होगा।
पंचायती राज विभाग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों, जल संस्थानों, जल निगम आदि सहित कई अन्य विभाग बार-बार कहने पर भी बिजली कंपनियों को समय से बिल का भुगतान नहीं कर रही हैं। विलंब से भुगतान करने की दशा में दो प्रतिशत तक अतिरिक्त सरचार्ज को समाप्त करने की मांग करती हैं जबकि नियम-कानून के तहत सरचार्ज को यूं ही माफ करने की व्यवस्था नहीं है।
इससे विभिन्न विभागों व संस्थाओं पर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का बिजली का बिल बकाया है। भारी-भरकम बकाए के भुगतान के लिए अब मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव को निर्देश दिए हैं कि समय से बिजली के बिल का भुगतान सुनिश्चित किया जाए ताकि बिल पर सरचार्ज लगने से बचा जा सके। |