प्राकृतिक पेंट प्लांटों बढ़ेगी संख्या, 800 डेरी का गोबर डोर टू डोर उठाएगा निगम
हसीन शाह, गाजियाबाद। एक जमाना था जब कच्चे मकान हुआ करते थे। उन मकानों में गोबर से लिपाई होती थी। ग्रामीण आंचल के कुछ घरों में अब भी गोबर से लिपाई होती है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि गोबर से पेंट भी बनाया जा सकता है। नगर निगम ने शहरी क्षेत्र में चल रही डेरियों से निकलने वाले गोबर की समस्या खत्म करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गोबर पेंट प्लांट लगाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसमें सिटी जोन की डेरियों के गोबर का प्रयोग किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के सफल होने पर प्लांट की संख्या बढ़ाई जाएगी। अन्य प्लांटों के लिए शहरी क्षेत्र में चल रहीं 800 से अधिक डेरी का गोबर लेने के लिए निगम की गाड़ियां डोर टू डोर जाएंगी। इससे शहर में गोबर की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
पेंट की मांग बढ़ने पर निगम का राजस्व बढ़ेगा। डेरी का गोबर नालों में गिरना बंद हो जाएगा। इससे नालों की सफाई पर खर्च कम होगा। वहीं आगे चलकर प्रशासन द्वारा भी ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के गोबर पेंट प्लांट लगाए जा सकते हैं।
पूर्व में लोगों के पास सीमित संख्या में रसोई गैस चूल्हे थे। उस दौरान गोबर के बने उपले चूल्हा जलाने में काम आ जाते हैं। गोबर कम फेंका जाता था लेकिन अब डेरी का गोबर पशुपालक नाली में बहा देते हैं। इससे नाले और नालियां जाम हो रहे हैं। हर वर्ष निगम को नालों की सफाई पर लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
नालों को जाम करने में 40 प्रतिशत डेरी का गोबर जिम्मेदार बताया जाता है। निगम समय-समय पर डेरियों के खिलाफ अभियान चलाकर पशुपालकों पर जुर्माना लगाता है। इसके बाद भी समस्या का हल नहीं निकलता है। कुछ लोग आबादी क्षेत्र में डेरी चलाने के पक्ष में रहते है जबकि अधिकतर लोग शहरी क्षेत्र में नाले जाम होने के कारण डेरी चलाने का विरोध करते हैं।
गोबर की समस्या को खत्म करने के लिए निगम द्वारा नंदी पार्क गोशाला में 50 लाख रुपये की कीमत से गोबर पेंट का प्लांट लगाया गया है। सिटी जोन से डोर टू डोर दो गाड़ियों से गोबर उठाया जा रहा है।
महिलाओं को मिला रोजगार
खास बात ये है कि पेंट बनाने के लिए 25 महिलाओं को रखा गया है। महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। बड़े स्तर पर पेंट की ब्रांडिंग की जा रही है। शहर में जगह-जगह यूनिपोल पर प्रचार किया गया है। वहीं, पेंट के निर्यात पर भी विचार किया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर डेरियों की संख्या और उनमें गोबर की क्षमता के अनुसार अन्य प्लांट लगाए जाएंगे। इससे शहर में गोबर की समस्या खत्म हो जाएगी। डोर टू डोर निगम निश्शुल्क में गोबर उठाएगा। पशु पालक जुर्माने से भी बच जाएंगे।
गोबर प्लांट की खासियत :
- सामान्य पेंट से अधिक टिकाऊ होता हैjalandhar-city-general,Jalandhar City news, Punjab sports stadiums, Jalandhar sports hub, Bhagwant Mann announcement, Punjab Hockey League 2025, Surjit Hockey Stadium, Punjab athletes recruitment, Sports culture promotion Punjab, Youth de-addiction program, Sports equipment Jalandhar,Punjab news
- छत पर करने से कमरे को ठंडा रखता है
- सामान्य पेंट से देखने में बेहतर लगता है।
2 तरह का बनाया जा रहा है पेंट
-40 प्रतिशत डिस्टेंपर गोबर में मिलाकर बनाया जा रहा पेंट
- 30 प्रतिशत इमल्शन गोबर में मिलाकर बनाया जा रहा दूसरा पेंट
- 500 लीटर पेंट पांच घंटे में बनता है
पेंट का नाम पेंट की मात्रा कीमत
डिस्टेंपर गोबर पेंट
एक लीटर
125 रुपये
इमल्शन गोबर पेंट
एक लीटर
225 रुपये
जिले में स्थायी गोशाला: नंदनी पार्क, गनौली, निडोरी, कान्हा गोशाला मोदीनगर, एसएलएफ-1, एसएलएफ-2, सैदपुर हुसैनपुर डीलना, पट्टी, सुठारी, भोजपुर।
जिले अस्थायी गोशाला: डासना, सिरोरा, ग्यासपुर, सुराना, सौंदा, गदाना, कादराबाद, गुड़ मंडी, पतला, निवाड़ी,
20वीं पशुगणना के अनुसार जिले में पशुओं की स्थिति
-100200 गोंवशी
-2,13,720 भैंस
- 23 गोशालाएं जिलेभर में हैं
- 5300 गोंवशी गोशाला में संरक्षित हैं
- 1700 गोवंशी सबसे बड़ी गोशाला नंदी पार्क में संरक्षित है
प्राकृतिक पेंट प्लांट का यह पायलट प्रोजेक्ट है। हम अभी सिटी जोन की डेरियों से गोबर ले रहे हैं। अन्य प्लांट स्थापित होने पर शहर की सभी लगभग 800 डेरी का गोबर डोर टू डोर उठाया जाएगा। - डॉ. अनुज, उप मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी
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