सेंट्रल वर्ज: दिल्ली के फ्लाईओवरों की अनकही अंधेरी दास्तान।
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली की रातें जब सन्नाटे में ढलती हैं, तब शहर के कई फ्लाईओवर और मुख्य सड़कों पर स्ट्रीट लाइट का आधा प्रकाश ही मिलता है। साइड लाइट जलती हैं, परंतु सेंट्रल वर्ज की लाइट कई स्थानों पर अक्सर अंधेरे में खोई रहती हैं, मानो शहर की धड़कन का एक बड़ा हिस्सा अवरुद्ध हो गया हो। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अंधेरे में लेन बदलती गाड़ियों की धीमी चाल, टूटे हुए कंक्रीट कवर्स और ब्लैंक वर्ज लाइट के बीच शहर हर रात अनजाने खतरे को महसूस करता है। यह अंधेरा केवल रोशनी की कमी नहीं, बल्कि नगर की जीवनधारा और सुरक्षा का प्रतीक संकट है। चेतावनी स्पष्ट है कि यदि वर्ज लाइटिंग का समय पर और व्यवस्थित कार्यान्वयन नहीं हुआ, तो दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी।
यही कारण है कि वाहन चालक सेंट्रल वर्ज से दूरी बनाते हैं, जिससे तीन लेन की सड़क दो लेन में संकुचित हो जाती है। परिणामस्वरूप ट्रैफिक की गति धीमी होती है और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। देश की राजधानी में यह स्थिति किसी स्थान विशेष पर नहीं, बल्कि अति विशिष्ट, विशिष्ट सहित के अधिकांश क्षेत्रों की है।
राजा गार्डन फ्लाईओवर पर 32 डिस्फंक्शनल लाइट का काला स्ट्रेच सड़क पर भय और अनिश्चितता की तस्वीर पेश करता है। शादीपुर फ्लाईओवर पर क्रैक्स और होल्ड गैपिंग के बीच वर्ज पूरी तरह अंधेरे में है, जबकि नेताजी सुभाष प्लेस से रोहिणी हेलीपोर्ट कारिडोर पर सिग्नल-फ्री रोड होते हुए भी वर्ज डार्क दिखाई देता है।patna-city-crime,Patna City news, Patna Airport arrest, fake identity cards, Indian Mujahideen, security breach Patna, suspicious activity Patna, counter terrorism investigation, airport security India, Vaishali resident arrest, Patna crime news,Bihar news
कालकाजी इंसिडेंट साइट पर पेड़ के गिरने के बाद अंधेरा और गहरा हो गया। एनएसपी से रोहिणी तक 47 किलोमीटर के कारिडोर में वर्ज ब्लैंक है। जी-20 के बाद रिपेयर किए गए फ्लाईओवर पर भी कंक्रीट कवर्स टूटे हुए हैं, और वर्ज अभी भी अंधेरे में है।
केंद्रीय सड़क सुरक्षा संस्थान के विशेषज्ञ, बताते हैं कि ‘सेंट्रल वर्ज पर लाइट न होने से विजिबिलिटी लगभग 50 प्रतिशत घट जाती है, जिससे दुर्घटनाओं में और हादसों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। वाहन चालक दूरी बनाते हैं, जिससे स्पीड घटती है और लेन का समुचित उपयोग नहीं हो पाता।’
लोनिवि के सेवानिवृत्त अधिक्षण अभियंता एसके गुप्ता बताते हैं कि ‘डिजाइन में मूल खामी है। वर्ज पर लाइट इंस्टालेशन महंगा है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से अनिवार्य है। 102 फ्लाईओवर में लगभग 60 प्रतिशत प्रभावित हैं।’
लोनिवि अधिकारी ने बताया कि 3,800 करोड़ रुपये की फ्लाईओवर रिपेयर योजना में वर्ज लाइटिंग शामिल है और 140 प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है। एमसीडी से जानकारी मिली कि एन्क्रोचमेंट हटाने के बाद लाइट लगाई जाएंगी। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इंटीग्रेटेड कारिडोर में एलईडी वर्ज लाइट लगाई जाएं, जिससे विजिबिलिटी और सड़क सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हों।
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