ट्रेड शो : अधेड़ उम्र में शुरू किया कारोबार, पेड़ों की जड़ों से बनाए सजावटी उत्पाद
अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। यदि इच्छाशक्ति मजबूत है, तो उम्र कभी बाधा नहीं बन सकती। इसकी बानगी पेश कर रहे हैं इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में हो रहे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आए मेरठ के रविंद्र सिंह। चाहर इनोवेशन के नाम से लगा उनका स्टाल लकड़ियों की तरह-तरह की आकृति के गिफ्ट व सजावटी सामान वहां से गुजरने वाले हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बेटी का मोबाइल स्टैंड टूटा
करीब 55 वर्षीय रविंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी इस शुरुआत के पीछे भी एक दिलचस्प वाक्या है। एक रात उनकी बेटी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। उसी दौरान उसके मोबाइल का स्टैंड टूट गया। मोबाइल पर इंटरनेट के जरिये अपने नोट्स तैयार कर रही थी। स्टैंड टूटने पर बेटी ने पिता से कहा कि उसका मोबाइल स्टैंड ठीक कर दें।
फिर हर रोज लकड़ी की बनाने लगे स्टैंड
रविंद्र कला के छात्र होने के साथ ही ऑटोमोबाइल का भी काम करते थे। उस दौरान उन्होंने खेती-किसानी का काम करना शुरू कर दिया था। सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल स्टैंड ठीक करने में जुट गए। पास में ही एक पेड़ का तना पड़ा हुआ था। उसे देख मोबाइल स्टैंड बनाने की सूझी। लकड़ी का स्टैंड, जब बेटी ने देखा तो उसे वह काफी पसंद आया। फिर वह हर रोज लकड़ी के तरह-तरह के स्टैंड बनाने लगे।
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शुरुआत में परिचितों को दिया गिफ्ट
वह स्टैंड बनाते और बेटी उन स्टैंड को गिफ्ट के तौर पर अपनी सहेलियों को देती। परिवार के अन्य सदस्य भी नाते- रिश्तेदारों को गिफ्ट के तौर पर देने लगे। सभी को यह उत्पाद काफी पसंद आने लगे। इसी बीच उनके पड़ोस में मेरठ जिले के उपायुक्त उद्योग रहने लगे। कुछ दिनों में उन्हें भी लकड़ी के बने गिफ्ट की जानकारी हुई। उन्होंने जब देखा तो रविंद्र सिंह को सरकार की योजनाओं का लाभ उठा अपने कारोबार को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। आज बड़ी-बडी़ कंपनियां और थोक विक्रेता उनके ग्राहक हैं। कई प्रदेशों में उनके उत्पादों की बिक्री हो रही है।
प्राकृतिक बनावट उत्पादों की बनी यूएसपी
रविंद्र सिंह ने बताया कि शीशम, नीम, यूकेलिप्टस, बांस और पाइन की लकड़ी के उत्पादों को बनाते हैं। सात वर्ष पहले इस काम को शुरू किया था। पेन होल्डर, मोबाइल स्टैंड, फूल दान, सजावटी सामान, छड़ी (बेंत) आदि का उत्पादन करते हैं। खेतों में जिन पेड़ों को काट दिया जाता है, उनकी जड़ों को हाइड्रा की मदद से निकालते हैं, जिससे पेड़ की जड़ पर किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। जड़ों के प्राकृतिक रूप में बिना छेड़छाड़ किए उन्हें गिफ्ट आइटम और घरेलू सामान में विकसित करते हैं। पेंट और पालिश कर उसे बाजार में पेश करते हैं। उन्होंने बताया कि जिस बेंत को वह बनाते हैं, उसमें कहीं भी जोड़ नहीं होता, जिससे वह कभी खराब या आड़ी तिरछी नहीं होती। उनकी बेटी उत्पादों की मार्केटिंग करती है।
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