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Dev Deepawali 2025: मां गंगा की लहरों पर आस्था की झिलमिलाहट ने रचा नैसर्गिक सौंदर्य का वितान, Photos

deltin33 55 s. ago views 834

  



जागरण संवाददाता, वाराणसी। त्रिपुर राक्षस पर देवों की विजय के पर्व देव दीपावली ने जब आकार लिया तो धरती पर स्वर्ग की परिकल्पना साकार होती दिखी। मां गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों से लगायत उनकी मचलती लहरों पर जब दिव्य आस्था के दीपों की झिलमिलाहट ने अपनी किरणों का जाल फेंका तो धरा से गगन तक, घाट से गंगधार तक नैसर्गिक सौंदर्य का वितान तन गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

धर्म के साथ राष्ट्रीयता का संदेश देते हुए दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति’ की अनुकृति स्थापित की गई थी। वहां पर कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। देव दीपावली महोत्सव को आपरेशन सिंदूर के नाम समर्पित किया गया, जिसमें देश की वीर माताओं के आंचल को नमन किया गया।


परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम चेत सिंह घाट पर दिखा, जहां 25 मिनट का थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो ‘काशी-कथा’ प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी, भगवान बुद्ध के उपदेश, कबीर-दास और तुलसीदास की भक्ति परंपरा तथा महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक की यात्रा का दृश्य जीवंत हुआ।




अनुपम रही राजसी भवनों की दिव्य छटा

  

घाटों के किनारे भव्य प्रस्तर निर्मित राजशाही भवनों की सजावट देखते ही बनती थी। विद्युत की रंगीन झालरों से इन्हें दुल्हन की तरह सजाया गया था। असि से लगायत राजघाट तक गंगा महल घाट, रीवा कोठी, राजा चेतसिंह किला, दरभंगा महल (वृज रमा पैलेस), मान मंदिर, कंगन वाली हवेली आदि की सजावट देव दीपावली की भव्यता में श्रीवृद्धि कर रही थी। घाटों के साथ ही किनारे स्थित विभिन्न मंदिरों- मठों की भी आकर्षक सजाया गया था।


मुख्यमंत्री को अपने बीच पा लोगों ने किया हर-हर महादेव का उद्घोष


  

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संग पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल, विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, महापौर अशोक तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर मां गंगा को नमन किया। इसके बाद सभी विशिष्ट अतिथियों ने क्रूज़ पर सवार होकर मां गंगा की आरती के साथ घाटों पर सजी देव दीपावली के अद्भुत नज़ारे का अवलोकन किया। सीएम योगी को अपने बीच देखकर जनमानस ने हर हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर काशी की जनता और पर्यटकों का अभिवादन किया।

  

मुख्यमंत्री ने ही नमो घाट पर जब दीपदान से महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया। वहां आरती के दौरान पं प्रमोद कुमार मिश्रा, डा. वीरेंद्र प्रताप सिंह, अभय श्रीवास्तव, विनय तिवारी, दिलीप यादव, पारस यादव मुख्य रूप से व्यवस्था में लगे थे।


इस वर्ष की थीम रही \“ऑपरेशन सिंदूर’, \“जाति-पंथ अनेक, हम सनातनी एक\“

  

श्रीदेव दीपावली एवं आरती महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त ने बताया कि इस वर्ष देव दीपावली की थीम ‘आपरेशन सिंदूर’, ‘नशा उन्मूलन’ और ‘जाति-पंथ अनेक, हम सनातनी एक’ रखा गया था। इसी थीम के अंतर्गत घाटों पर सनातन एकता, नारी शक्तिकरण, नशा मुक्ति और राष्ट्रीय एकता के संदेश को सजावट और रंगोलियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। भोसले घाट, सिंधिया घाट और राम घाट पर भी आपरेशन सिंदूर की झलक दिखाई दी। राजघाट के निकट नारी सशक्तिकरण थीम पर विशेष सजावट की गई। श्रेष्ठ सजावट के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिए जाएंगे।



सुरक्षा व्यवस्था रही जल, थल और नभ में अभेद्य


  


श्रद्धालुओं की भीड़ और वीवीआइपी उपस्थिति को देखते हुए वाराणसी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया। बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध रहा। घाटों पर एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें बोट्स, आधुनिक उपकरणों और वाटर एंबुलेंस के साथ तैनात रहीं। नदी मार्ग पर नावों के लिए लेन निर्धारण किया गया। नाविकों को निर्धारित दिशा और सुरक्षा नियमों के पालन के निर्देश दिए गए। सड़कों पर यातायात, पार्किंग और प्रवेश-निकास की व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित रही। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों, एंटी रोमियो स्क्वॉड और क्यूआरटी टीमों को तैनात किया गया।


घाटों पर तिल रखने की जगह भी न बची

  


असि से लगायत गंगा किनारे बने 88 घाटों के मार्ग पर तिल रखने भर की जगह नहीं थी। जबकि बीच के घाटों, राजा चेत सिंह घाट, दरभंगा घाटों पर भीड़ को रोक दिया गया था। इससे भीड़ का दबाव इन घाटों पर ज्यादा बढ़ गया था। यहां लेजर शो देखने वालों की भीड़ ज्यादा जुट गई थी।


तुलसीघाट पर हुई कंस वध की लीला



अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के तत्वावधान में आयोजित श्रीकृष्ण लीला के क्रम में कंस वध की लीला का आयोजन महंत विश्वंभरनाथ मिश्र की देखरेख में किया गया। कंस वध के बाद उसके विशाल पुतले को जलाया गया। घाट पर उपस्थित भीड़ ने इसका अवलोकन किया।
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